केंद्र सरकार ने एथेनॉल इंडस्ट्री को एक और राहत देते हुए शीरे (मोलासेज) पर 50 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया है। वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, यह आदेश 18 जनवरी से लागू होगा। सरकार के इस कदम से शीरे के निर्यात पर अंकुश लगेगा और एथेनॉल उत्पादन के लिए शीरे की उपलब्धता बढ़ सकेगी। इससे सरकार को एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
हर साल लगभग 15-16 लाख टन शीरे का निर्यात किया जाता है, जो उत्पादित शीरे की कुल मात्रा का लगभग 10% है। भारत मुख्यता वियतनाम, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड और फिलीपींस सहित देशों को शीरे का निर्यात करता है। चीनी उत्पादन में गिरावट की आशंका को देखते हुए पिछले महीने केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार चीनी मिलों को एथेनॉल उत्पादन के लिए अधिकतम सी हेवी मोलासेज़ का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
इस्मा ने सरकार के कदम का स्वागत किया
इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने शीरे के निर्यात पर 50 फीसदी शुल्क लगाने के फैसले का स्वागत किया है। इस्मा के अध्यक्ष एम. प्रभाकर राव ने कहा, “हमने सरकार से शीरे के निर्यात को तत्काल प्रभाव से पूरी तरह से रोकने का अनुरोध किया था क्योंकि इससे देश के एथेनॉल उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे अन्य फ़ीड स्टॉक पर निर्भरता कुछ हद तक कम हो जाएगी। चीनी से बने शीरे पर 50% निर्यात शुल्क लगाने का कदम बहुत स्वागत योग्य है।
इस्मा ने सरकार से गन्ने के सिरप/जूस, बी-हैवी मोलासेज और सी-हैवी मोलसेज से बने एथेनॉल के खरीद मूल्य में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि पर विचार करने का भी अनुरोध किया है।