निजी खपत और निजी निवेश में बढ़ोतरी कि वजह से चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर 6.4 फीसदी रहेगी। जबकि इसके अगले वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने मंगलवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन के बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक और बिजनेस इकोसिस्टम में सुधार के लिए सरकारी नीतियों में किए जा रहे बदलाव से भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ेगी।
एडीबी ने अपने ताजा पूर्वानुमान में कहा है कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र के विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी तेज रहेगी। महामारी से चीन के उबरने और भारत में मजबूत मांग की वजह से एशिया की विकास दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। यह पिछले वित्त वर्ष की 4.2 फीसदी विकास दर से ज्यादा है। कोरोना के बाद लगाए गए प्रतिबंधों में छूट की वजह से खपत, टूरिज्म और निवेश में बढ़ोतरी हो रही है। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। एडीबी ने कहा है कि 2022 में इस क्षेत्र में महंगाई की दर 4.4 फीसदी रही है। इसके भी 2023 में घटकर 4.2 फीसदी रहने का एडीबी ने अनुमान जताया है।
एशियन डेवलपमेंट आउटलुक, अप्रैल 2023 नाम से जारी रिपोर्ट में एडीबी ने कहा है कि वैश्विक सुस्ती, सख्त मौद्रिक नीतियों और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद भारत की विकास दर में तेजी आएगी। इस दौरान भारत की घरेलू मांग में तेजी दिखगी और वैश्विक मांग पर भारत की निर्भरता कम रहेगी। जबकि कोविड से चीन के उबरने का असर विकास दर पर दिखेगा। चीन की विकास दर इस साल 5 फीसदी और अगले साल 4.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी। पिछले साल चीन की विकास दर 3 फीसदी रही थी। हालांकि, एडीबी का कहना है कि लंबी अवधि में चीन की विकास दर की रफ्तार धीमी ही रहेगी।
एडीबी के मुताबिक, कच्चे तेल और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी की वजह से 2023-24 में महंगाई की दर भी घटकर 5 फीसदी तक आ जाएगी। इससे अगले वित्त वर्ष में इसके 4.5 फीसदी पर आने का अनुमान एडीबी ने जताया है। साथ ही चालू खाते का घाटा भी कम होकर जीडीपी के 2.2 फीसदी पर रहने की संभावना रिपोर्ट में जताई गई है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में 1.9 फीसदी पर रह जाएगा।