प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 6.3 फीसदी रहने के अपने पूर्वानुमान को बरकरार रखा है। इससे पहले अप्रैल में भी विश्व बैंक ने भारत की जीडीपी ग्रोथ इसी दर पर रहने का अनुमान लगाया था। 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही थी।
क्षेत्रीय विकास अनुमानों को जारी करते हुए विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र की मजबूती की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज रहेगी। सेवा क्षेत्र की विकास दर 7.4 फीसदी और कृषि क्षेत्र की 3.5 फीसदी रहने का अनुमान रिपोर्ट में लगाया गया है। साथ ही कहा गया है कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में भी भारत लगातार लचीलापन दिखा रहा है। विश्व बैंक के मुताबिक 2023-24 में भारतीय औद्योगिक विकास दर 5.7 फीसदी रहने की उम्मीद है। वहीं, निवेश वृद्धि 8.9 फीसदी पर मजबूत रहने का अनुमान है।
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने ताजा अनुमान में कहा था कि 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी। पिछले महीने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान थोड़ा घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया था, जबकि आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारत की जीडीपी की वृद्धि का अनुमान 6 फीसदी के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने जहां भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6.3 फीसदी पर बरकरार रखा है, वहीं एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस ने अपने पहले के 5.9 फीसदी के अनुमान को बढ़ाकर 6.6 फीसदी कर दिया है।
मुद्रास्फीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें सामान्य होने और सरकारी उपायों से प्रमुख वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलने से महंगाई धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है। विश्व बैंक ने पूरे वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई 5.9 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। विश्व बैंक को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 फीसदी से घटकर 5.9 फीसदी पर आ जाएगी। जबकि चालू खाते का घाटा जीडीपी के 1.4 फीसदी तक घटने का अनुमान है।