नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहा है कि विकसित भारत बनाने के लिए हमें अपनाना मॉडल विकसित करना होगा। चूंकि हमारी 60 फीसदी से ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और इनमें से ज्यादातर कार्यबल खेती-किसानी और इससे जुड़े क्षेत्रों में काम कर रही है, इसलिए हमें कृषि केंद्रित विकास का मॉडल अपनाने की जरूरत है। एजेंडा फॉर रूरल इंडिया- नई दिल्ली के राष्ट्रीय आयोजन को बुधवार को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। इस मौके पर कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी त्रैमासिक पत्रिका रूरल वर्ल्ड को भी लॉन्च किया जो रूरल वॉयस का सहयोगी प्रकाशन है।
प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के बावजूद कृषि का दबदबा कायम रहेगा। उन्होंने कहा, "पहले ग्रामीण विकास केवल कृषि तक ही सीमित था, लेकिन अब इसका क्षेत्र बढ़ गया है। हालांकि, ग्रामीण विकास पर कृषि का वर्चस्व बरकरार रहेगा क्योंकि ग्रामीण विकास और कृषि दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है।"
नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में आयोजित कार्यक्रम में 'रूरल वर्ल्ड' पत्रिका लॉन्च करते हुए कहा कि पत्रिका के संपादक हरवीर सिंह द्वारा की गई यह शुरुआत अत्यंत सामयिक है। प्रोफेसर चंद ने कहा कि 1961 में भारत की 82% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थी, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर 64% रह गया है। 2047 तक यह और भी कम हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के समावेशी विकास को ध्यान में रखते हुए भारत का एक विकास मॉडल तैयार करना होगा। उन्होंने कृषि के महत्व को देखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर समग्रता से चर्चा करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कृषि केंद्रित रोजगार को ध्यान में रखते हुए कृषि केंद्रित विकास के बारे में सोचा जाए।