राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन मीनेश शाह ने कहा है कि भारत ने छोटे डेयरी किसानों के विकास में नवाचार और डिजिटलीकरण के उपयोग का एक मॉडल प्रस्तुत किया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा रोम में आयोजित साइंस और इनोवेशन फोरम 2022 में एनडीडीबी के चेयरमैन ने यह बातें कहीं।
एनडीडीबी चेयरमैन ने इस कार्यक्रम के दौरान एफएओ के उप महानिदेशकों बेथ बेकडोल और मारिया हेलेना सेमेदो व थानावत तिएनसिन से मुलाकात की। उन्होंने उनके साथ भारतीय लघु किसान कृषि प्रणाली, टिकाऊ उत्पादन प्रणाली और ऐसे ही दूसरे नवाचारों पर चर्चा की। बैठक के दौरान डेयरी विकास के क्षेत्र में मिलकर काम करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई। मीनेश शाह ने जी-20 प्रेसीडेंसी के अन्तर्गत भारत में संयुक्त रूप से एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने का प्रस्ताव रखा।
डेयरी क्षेत्र के टिकाऊ विकास के लिए विज्ञान और नवाचार के बेहतर उपयोग पर सत्र में चर्चा के दौरान शाह ने भारत में छोटे डेयरी उत्पादकों की मदद के लिए नई तकनीक और नवाचार पर चर्चा की । उन्होंने भारत के दूध की कमी वाले देश से लेकर उसके दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनने तक की भारत की यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
एनडीडीबी चेयरमैन फोरम में कहा कि भारत वैश्विक दुग्ध उत्पादन में लगभग छह प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ 23 प्रतिशत का योगदान दे रहा है और यह केवल नवाचारों के माध्यम से ही संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि डेयरी में तकनीकी और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के साथ-साथ लोगों को एक साथ लाना भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक अच्छी गर्वनेंस संरचना का निर्माण करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क (आईएनएपीएच) का एक राष्ट्रीय डेटाबेस है जिसमें 23 करोड़ अधिक पशु पंजीकृत हैं। राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (एनडीएलएम) में ट्रेसिबिलिटी, रोगों पर निगरानी और उसके नियंत्रण के लिए प्रोग्रामिंग जैसी सुविधाए उपलब्ध हैं। शाह ने कहा कि एनडीडीबी द्वारा अन्य साझेदार संगठनों के साथ की गोबर प्रबंधन की शुरू की गई पहल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए रसोई गैस उपलब्ध कराने, जैव-स्लरी, ठोस और तरल जैविक उर्वरकों की बिक्री से आय के रूप में काफी सफल साबित हुई है। मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने और साथ ही ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन को कम करने के लिए इस पहल को बड़े पैमाने पर बायोगैस संयंत्र स्थापित करके आगे बढ़ाया जा रहा है जो डेयरी संयंत्रों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा।