अंतरराष्ट्रीय व्यापार (आयात-निर्यात) में रुपये में भुगतान की सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने चाहिए। इससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा (अमेरिकी डॉलर, यूरो) की बचत होगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय रुपये को मजबूती और नई पहचान मिलेगी। जिन देशों से भारत आयात-निर्यात करता है उन देशों से द्विपक्षीय व्यापार समझौते के जरिये ऐसा किया जा सकता है। स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक में सरकार को यह सुझाव दिया गया है।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि रुपये में व्यापार निपटान को मंजूरी देने के ऐतिहासिक कदम को आगे बढ़ाने के लिए कुछ और उपाय किए जाने चाहिए। इनमें अधिक से अधिक देशों को व्यापार मुद्रा के रूप में रुपये का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करके ऐसा कर सकता है। इसके अलावा, व्यापार के लिए रुपये के उपयोग को आसान बनाने के प्रयास किए जा सकते हैं। इसमें बाजार में रुपये की तरलता बढ़ाने और व्यवसायों के लिए रुपया खाते खोलना आसान बनाना शामिल हो सकता है।
3-4 जून को हुई बैठक में सरकार से यह भी आग्रह किया गया कि भुगतान संबंधी उपायों के अलावा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में भी रुपये के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रयास होने चाहिए। इसके तरहत विदेशी निवेशकों को रुपये-मूल्यवर्गित संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल हो सकता है। साथ ही भारत रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को और व्यवस्थित करने के लिए निम्नलिखित कदम भी उठा सकता है:-
-रुपया आधारित मजबूत बांड बाजार का विकास करना। यह व्यवसायों को निवेश विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगा और उनके लिए रुपये में पूंजी जुटाना आसान बना देगा।
-पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में रुपये के प्रयोग को बढ़ावा देना। इससे भारत को इन देशों के साथ व्यापार के लिए विदेशी मुद्राओं के उपयोग की आवश्यकता को कम करने में मदद मिलेगी।
-अन्य देशों के साथ रुपये-मूल्य वाले व्यापार के लिए एक सामान्य ढांचा विकसित करने के लिए काम किया जाए। इससे व्यवसायों के लिए उन देशों के साथ रुपये में व्यापार करना आसान हो जाएगा जिनका भारत के साथ द्विपक्षीय समझौता नहीं है।
स्वेदशी जागरण मंच का कहना है कि इन कदमों को उठाकर भारत रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत मुद्रा बनाने में मदद कर सकता है। यह डॉलर पर भारत की निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को इसके कई लाभ मिल सकते हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को डॉलर के मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करेगा और भारत के निर्यात को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आयात-निर्यात के लिए रुपये में भुगतान की अनुमति जुलाई 2022 में दी थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए रूस को भुगतान के लिए यह एक रणनीतिक निर्णय था। दिसंबर 2022 में भारत ने पहली बार कच्चे तेल के आयात के लिए रुपये में रूस को भुगतान किया। इस फैसले से दुनिया के कई देश जो भारत से आयात करने में रुचि रखते थे और डॉलर की कमी के कारण ऐसा करने में सक्षम नहीं थे अब वे अपने आयात के लिए रुपये में भुगतान कर सकते हैं। रुपये में भुगतान की सुविधा के लिए अब तक भारतीय बैंकों ने ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, जर्मनी, मलेशिया, इजराइल, रूस और संयुक्त अरब अमीरात सहित 19 देशों के साथ 'विशेष वोस्ट्रो खाते' खोले हैं।