भारत के अग्रणी नीति थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी (CCS) ने विश्व आर्थिक स्वतंत्रता (EFW) रिपोर्ट, 2024 जारी की है। फ्रेजर इंस्टीट्यूट की तरफ से प्रति वर्ष जारी की जाने वाली इस रिपोर्ट में भारत को 165 देशों में 84वें स्थान पर रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 87वें स्थान से सुधार दर्शाता है। रैंकिंग में यह सुधार आर्थिक स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों को रेखांकित करता है और भविष्य के विकास के लिए गति पैदा करता है।
विभिन्न देशों की नीतियों और संस्थानों को पाँच प्रमुख क्षेत्रों के 45 डेटा बिंदुओं के आधार पर मूल्यांकन करके इस ईएफडब्लू सूचकांक को बनाया गया है। इस मूल्यांकन में लैंगिक कानूनी समानता के अधिकार को भी शामिल किया गया है, जो पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक स्वतंत्रता में समानता के स्तर को दर्शाता है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रेगुलेशन और सुदृढ़ मुद्रा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। सरकार के आकार में भी कुछ सुधार हुआ है, लेकिन इस वर्ष भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार करने की स्वतंत्रता में गिरावट आयी है।
सीसीएस के सीईओ डॉ. अमित चंद्रा ने कहा, “जब दुनिया मैन्युफैक्चरिंग, उत्पादन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चीन को छोड़कर अन्य देशों की तरफ अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, तो भारत को खुद को अग्रणी विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहिए जिससे हम वैश्विक व्यवसाय के केंद्र के रूप में स्थापित हो सके। इस महत्वपूर्ण समय पर भारत को अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के स्तर को मजबूत करके विदेशी निवेश को आकर्षित करना चाहिए। इसके लिए भारत को अपनी प्रतिस्पर्धा और बाजार से संबंधित नीतियों को और उदार बनाना होगा ताकि इस अवसर का लाभ उठाया जा सके।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारत ने सरकार के आकार में सुधार करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्वतंत्रता और कानूनी अधिनियम जैसे क्षेत्रों में कुछ कमियां हैं जिन्हें तत्काल सही करने की आवश्यकता है। सीसीएस ने लेबर कोड, कृषि सुधार, संपत्ति के अधिकारों की रक्षा जैसे बाजार को मजबूत करने वाले और संस्थागत जवाबदेही को प्रोत्साहित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण कानूनों की वकालत की है। इन सुधारों के माध्यम से भारत की सरकारी दक्षता में सुधार होगा। इसके साथ ही भारत की प्राथमिकता में देश की सुदृढ़ मौद्रिक नीतियों को बनाए रखने और मुक्त व्यापार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने वाले कारोबारी माहौल को बनाने के लिए कानूनी अधिनियमों को व्यवस्थित करना शामिल होना चाहिए। इन निर्णायक कदमों के बिना, भारत अपनी आर्थिक क्षमता के अनुरूप लाभ उठाने में सक्षम नहीं हो पाएगा।