ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत और पिछड़ गया है। शनिवार को जारी वर्ष 2022 के इंडेक्स में 121 देशों में भारत को 107वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि सरकार ने इसे यह कहकर खारिज किया है कि यह भारत की छवि खराब करने की कोशिश है। सरकार ने इंडेक्स तैयार करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं जबकि विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की है।
इंडेक्स में भारत को 29.1 अंक दिए गए हैं और इसे गंभीर बताया गया है। एशिया में सिर्फ अफगानिस्तान (109) भारत के पीछे है। पाकिस्तान इसमें 99, बांग्लादेश 84, नेपाल 81 और श्रीलंका 64वें स्थान पर है। 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर और 2020 में 94वें स्थान पर है।
अंडरनरिशमेंट यानी अल्पपोषण की समस्या 2018-20 में भारत में 14.6% थी, जो 2019-21 में बढ़कर 16.3% हो गई। इसका मतलब ह है कि भारत में 22.43 करोड़ लोग लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। पूरी दुनिया में ऐसे लोग 82.8 करोड़ हैं। हालांकि बच्चों में वृद्धि कम होने (स्टंटिंग) की समस्या घटी है। यह 2012-16 के दौरान 38.7 फीसदी थी, जो 2017-21 में घटकर 35.5 फीसदी पर आ गई। बाल मृत्यु दर भी 2014 के 4.6 फीसदी से घटकर 2020 में 3.3 फीसदी रह गई।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इंडेक्स पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसके चार में से तीन इंडिकेटर बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं। उनके आधार पर समूची आबादी के बारे में आकलन नहीं किा जा सकता है। चौथा और सबसे महत्वपूर्ण इंडिकेटर अंडरनरिशमेंट आबादी का है और इसके लिए सिर्फ 3000 लोगों का सैंपल साइज लिया गया है जो बहुत छोटा है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स विश्व खाद्य दिवस (16 अक्टूबर) से एक दिन पहले जारी हुई। संयुक्त राष्ट्र के FAO की 2021 की स्टैटिस्टिकल रिपोर्ट के अनुसार 2018-20 में अल्पपोषित लोगों की संख्या 68.39 करोड़ और भारत में 20.86 करोड़ थी।
अल्पपोषित लोगों की संख्या
अवधि - दुनिया में - भारत में
2014-16 - 61.38 - 19.23
2015-17 - 61.66 - 18.76
2016-18 - 62.27 - 18.49
2017-19 - 63.29 - 18.99
2018-20 - 68.39 - 20.86
(आंकड़े करोड़ में, स्रोतः एफएओ)
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) के अनुसार अनाज उत्पादन के मामले में भारत भले ही आत्मनिर्भर हो गया है, इसके बावजूद दुनिया के एक चौथाई अल्पपोषित और कुपोषित लोग यहीं हैं। भारत में दो दशक में प्रति व्यक्ति आय तीन गुना हुई, फिर भी 21.25% लोग रोजाना 1.9 डॉलर से कम में गुजारा करते हैं।