भारतीय खाद्य तेल उद्योग संगठन, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने चालू रबी 2024-25 सीजन में रेपसीड-सरसों उत्पादन 115.16 लाख टन होने का अनुमान लगाया है। यह कृषि मंत्रालय की ओर से जारी दूसरे अग्रिम अनुमान 128.73 लाख टन से लगभग 10 फीसदी और पिछले वर्ष के 132.59 लाख टन के उत्पादन से 13 फीसदी कम है। एसईए का अनुमान फील्ड सर्वे और सैटेलाइट आधारित प्रेडिक्टिव एनालिसिस पर आधारित हैं, जिसे SatSure द्वारा किया गया है।
एसईए के अनुसार, रबी सीजन 2024-25 के दौरान भारत में रेपसीड-सरसों की बुवाई 92.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होने का अनुमान है जो सरकार के 89.30 लाख हेक्टेयर के अनुमान से अधिक है, लेकिन पिछले वर्ष के 93.73 लाख हेक्टेयर से 1.68% कम है। सरसों उत्पादन में गिरावट से खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता लाने की कोशिशों को झटका लगेगा।
खाद्य तेलों के आयात पर भारत की भारी निर्भरता को रेखांकित करते हुए, एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि एसईए ने 2020-21 से "मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट" जैसे कार्यक्रम लागू किए हैं, जिनका लक्ष्य 2029-30 तक रेपसीड-सरसों उत्पादन को 200 लाख टन तक पहुंचाना है।
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता ने कहा, "सरसों का वर्तमान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,950 रुपये प्रति क्विंटल है। सरसों की कीमत पहले ही एमएसपी तक पहुंच चुकी हैं और आवक बढ़ने के साथ इसके गिरने की संभावना है। सरकार को नेफेड और अन्य एजेंसियों को सक्रिय करना चाहिए ताकि किसानों के हितों की रक्षा के लिए एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित की जा सके।"
सर्वे के मुताबिक, राजस्थान अभी भी सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य बना हुआ है, जहां 34.74 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई है और 52.45 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। इसके बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश क्रमशः 14.86 लाख हेक्टेयर और 14.23 लाख हेक्टेयर के साथ प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। हरियाणा में 7.14 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती की गई है, जहां उत्पादन अनुमान 12.58 लाख टन है।
निष्कर्षों में सामने आया कि सरसों की फसल मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में अच्छी स्थिति में है। NDVI मानकों और फसल विकास आकलन से पुष्टि हुई कि खासकर पुष्पन (इन्फ्लोरेसेंस एमर्जेंस) और फूल आने की अवस्थाओं में फसल की स्थिति संतोषजनक रही है। हालांकि, सरकार द्वारा MSP बढ़ाने के बावजूद, उत्पादन लागत में वृद्धि किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
एसईए द्वारा करवाए गए इस सर्वेक्षण के लिए 8 प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों—राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम, गुजरात, झारखंड और पश्चिम बंगाल—में सैटेलाइट आधारित विश्लेषण और किसानों से विस्तृत बातचीत की गई। एसईए द्वारा अप्रैल-मई में तीसरा और अंतिम फील्ड सर्वेक्षण करेगा, जिससे और अधिक सटीक उपज और उत्पादन अनुमान लगाया जा सके।