हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बाद भाखड़ा और पौंग डैम से पानी छोड़े जाने की वजह से पंजाब के आठ जिले एक बार फिर से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। अगले चार दिनों तक दोनों डैम से पानी छोड़ा जाता रहेगा। ऐसे में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के भी कुछ जिलों में दोबारा बाढ़ आने की संभावना है। इसके अलावा, उत्तराखंड की बारिश का असर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दिख सकता है। दूसरी तरफ, मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित बिहार, झारखंड, गंगेटिक बंगाल, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ, कर्नाटक और केरल में सामान्य से कम बारिश हुई है। एक तरफ बाढ़ और दूसरी तरफ सुखाड़ की वजह से खरीफ फसलों, खासकर खरीफ की प्रमुख फसल धान का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।
भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के 16 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई है। पूर्व और उत्तर पूर्व भारत में सामान्य से 19 फीसदी और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में 12 फीसदी कम बारिश हुई है। केरल (-44%), झारखंड (-38%), बिहार (-31%), पूर्वी उत्तर प्रदेश (-33%) और गंगेटिक पश्चिम बंगाल (-29%) बारिश की कमी से सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं। केरल को छोड़कर बाकी वो इलाके हैं जहां खरीफ सीजन में धान की खेती प्रमुखता से होती है।
इसके अलावा, धान की पैदावार वाले इलाकों में असम एवं मेघालय और छत्तीसगढ़ में सामान्य से 16 फीसदी, ओडिशा में 10 फीसदी और पश्चिमी मध्य प्रदेश में 9 फीसदी कम बारिश हुई है। दक्षिण कर्नाटक में सामान्य से 23 फीसदी, तटीय कर्नाटक में 12 फीसदी और रायलसीमा इलाके में 26 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 25 फीसदी और अरुणाचल प्रदेश में सामान्य से 10 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है।
नेशनल रेनफेड डेवलपमेंट अथॉरिटी के पूर्व चेयरमैन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट (एनआरएम) के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. जेएस सामरा ने रूरल वॉयस को बताया कि एक महीने के भीतर पंजाब में दोबारा बाढ़ की वजह से खरीफ फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। भाखड़ा और पौंग डैम से पानी छोड़े जाने से पंजाब के आठ जिले जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, फिरोजपुर, रूपनगर, अमृतसर और तरनतारन में बाढ़ के चलते धान की फसल बर्बाद हो गई है। पिछले महीने भी भारी बारिश के चलते पंजाब और हरियाणा में बाढ़ आई थी जिसकी वजह से धान की फसल बर्बाद हुई थी। तब ज्यादातर वो धान बर्बाद हुई थी जिनकी बुवाई बारिश से कुछ दिनों पहले ही हुई थी। उसके बाद किसानों ने दोबारा बुवाई की, अब वो भी बाढ़ की चपेट में आ गई है।
उन्होंने कहा कि दोनों डैम से अगले कुछ दिनों तक पानी छोड़ा जाता रहेगा जिससे हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में फिर से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उत्पादित धान की केंद्रीय पूल में हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। बाढ़ के चलते इन इलाकों में धान उत्पादन पर 25-30 फीसदी का असर पड़ने की संभावना है।
डॉ. सामरा के मुताबिक, मानसून की बारिश में कमी झेल रहे देश के उन इलाकों में उत्पादन प्रभावित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां सिंचाई की सुविधा बेहतर नहीं है और खेती बारिश पर निर्भर है। धान सहित खरीफ की अन्य फसलों के उत्पादन में निश्चित तौर पर कमी आएगी। हालांकि, राजस्थान और गुजरात में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है जिससे यहां के किसानों को फायदा हुआ है। यहां इस साल खरीफ के उत्पादन में वृद्धि देखी जा सकती है।