इस साल रबी सीजन में तिलहन फसलों के रकबे में 21 भारी बढ़ोतरी हुई है 7 जनवरी को कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक 98.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की बुआई हो चुकी है। यह पिछले साल की समान अवधि में बोई गई 81.66 लाख हेक्टेयर की तुलना में 17.19 लाख हेक्टेयर अधिक है।नदेश में रबी फसलों की बुवाई अपने अंतिम चरण में है। अधिकांश क्षेत्रों में बुवाई का काम पूरा हो चुका है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, किसानों ने इस बार रबी सीजन में तिलहन की बुवाई की है और तिलहन का रकबा पिछले साल की तुलना में 21 फीसदी ज्यादा एरिया में तिलहन फसल खेती की गई है तिलहनी फसलों की खेती का दायरा राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, पंजाब, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बढ़ा है।
गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 5.84लाख हेक्टेयर घटा
देश में गेहूं के रकबे में पिछले साल की तुलना में 5.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कमी दर्ज की गई है। किसान अब तक 333.97 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई कर चुके हैं। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 339.81 लाख हेक्टेयर था। मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम में अधिक क्षेत्र में बुवाई की गई है जबकि राजस्थान, बिहार, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड और उत्तर प्रदेश गेहूं बुवाई के मामले में पीछे हैं।
गेहूं के रकबे में कमी का कारण तिलहन के रकबे में भारी वृद्धि को माना जा रहा है। पिछले सीजन में किसानों को सरसों की अच्छी कीमत मिली है। इसे देखते हुए इस बार किसानों ने जोरदार तरीके से सरसों की खेती की है और गेहूं का रकबा कम कर दिया है। पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही थी । इसके साथ ही किसान अगले सीजन में भी तिलहन की उपज का लाभ मिलने की उम्मीद में सरसों की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं। साथ ही सरकार खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है ताकि आयातित खाद्य तेलों पर निर्भरता कम हो सके।
दलहन का बुवाई क्षेत्र भी घटा
धान, दलहन और मोटे अनाज के कुल क्षेत्रफल में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है। रबी सीजन में धान का रकबा 16.44 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल यह 18.69 लाख हेक्टेयर था। दलहनी फसलों के रकबे में भी मामूली कमी आई है। पिछले साल के 157.75 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार दलहन की बुवाई 156.23 लाख हेक्टेयर में की गई है। वहीं पिछले साल मोटे अनाज का रकबा 48.32 लाख हेक्टेयर था, जो इस बार 46.68 लाख हेक्टेयर रह गया है.