चालू रबी सीजन (2022-23) के बुवाई क्षेत्रफल पर गेहूं और सरसों की ऊंची कीमतों का असर दिख रहा है। बेहतर दाम की उम्मीद में किसानों ने गेहूं और सरसों की बुआई अधिक क्षेत्रफल में की है। कृषि मंत्रालय द्वारा 25 नवंबर को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अभी तक गेहूं का क्षेत्रफल पिछले साल के इसी समय के मुकाबले 14.53 लाख हैक्टेयर अधिक है। वहीं सरसों का क्षेत्रफल 8.93 लाख हैक्टेयर अधिक है। जहां गेहूं की बुआई जारी है और आने वाले दिनों में इसके क्षेत्रफल की सही तसवीर साफ होगी। वहीं अभी तक सरसों का क्षेत्रफल औसत क्षेत्रफल के स्तर को पार कर गया है। अभी तक चालू साल में रबी सीजन की फसलों का कुल बुआई क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 24.13 लाख हैक्टेयर अधिक है। पिछले साल 25 नवंबर तक रबी फसलों का क्षेत्रफल 334.46 लाख हैक्टेयर रहा था जबकि इस साल इस अवधि तक यह 358.59 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया है।
मंत्रालय के मुताबिक 25 नवंबर तक गेहूं का बुआई क्षेत्रफल 152.88 लाख हैक्टेयर रहा है जबकि पिछले साल इसी समय इसका स्तर 138.35 लाख हैक्टेयर रहा था। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र समेत अधिकांश राज्यों में गेहूं का क्षेत्रफल पिछले साल से अधिक है। वहीं हरियाणा में अभी यह पिछले साल से 1.05 लाख हैक्टेयर, हिमाचल में 1.95 लाख हैक्टेयर और उत्तराखंड व झारखंड में पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से कम है।
रबी सीजन में दालों का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से कम है। चालू रबी सीजन में 25 नवंबर तक दालों का क्षेत्रफल 94.26 लाख हैक्टेयर रहा है जबकि पिछले साल इसी अवधि तक 94.37 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में दालों की बुआई हुई थी।
तिलहन फसलों का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 9.06 लाख हैक्टेयर अधिक रहा है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 25 नवंबर तक 75.77 लाख हैक्टेयर में तिलहन फसलों की बुआई हो चुकी है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में इनका क्षेत्रफल 66.71 लाख हैक्टेयर रहा था। मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, नागालैंड और तमिलनाडु में तिलहन फसलों का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। देश में सरसों का औसत क्षेत्रफल 63.46 लाख हैक्टेयर है जबकि इस साल 70.89 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुआई हो चुकी है। जो पिछले साल के इस समय तक सरसों के क्षेत्रफल 61.96 लाख हैक्टेयर से 8.93 लाख हैक्टेयर अधिक है।
पिछले रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन कम होने के चलते गेहूं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रबी मार्केटिंग सीजन में ही गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक हो गई थी। जिसके चलते किसानों ने निजी क्षेत्र को 2200 से 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत पर गेहं की बिक्री की जबकि गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये प्रति क्विटंल था। उसके चलते गेहूं की सरकारी खरीद 14 साल के निचले स्तर पर चली गई थी। वहीं खाद्य तेलों की कीमतों में भारी तेजी के चलते किसानों को सरसों की कीमत भी एमएसपी से अधिक मिली है। इसके चलते बेहतर कीमतों की उम्मीद में इस साल भी किसानों ने सरसों की बुआई अधिक क्षेत्रफल में की है।