चालू तेल वर्ष (2023-24) में मई माह में वनस्पति तेलों का आयात 45 फीसदी बढ़ गया है। इस साल मई में कुल 15.29 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात हुआ है जो मई, 2023 के 10.58 लाख टन वनस्पति तेल आयात से 45 फीसदी अधिक है। मई में 14.98 लाख टन खाद्य तेल और 31761 लाख टन गैर खाद्य वनस्पति तेल का आयात हुआ। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। एईए के मुताबिक अप्रैल 2024 में 13.04 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था।
हालांकि, नवंबर 2023 से मई 2024 के दौरान कुल खाद्य तेलों के आयात में 5 प्रतिशत की गिरावट आई है। एसईए के मुताबिक तेल वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों में 85.67 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया, जबकि तेल वर्ष 2022-23 की इसी अवधि में यह 90.55 लाख टन था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि पिछले एक महीने में अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की आपूर्ति में व्यवधान ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों पर दबाव डाला है। अर्जेंटीना में श्रमिकों की हड़ताल के कारण सोयाबीन तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे पेराई कम हुई है। उन्होंने कहा कि ब्राजील में हाल ही में आई बाढ़ ने सोयाबीन उत्पादन को प्रभावित किया और 27.1 लाख टन नुकसान का अनुमान है।
उन्होंने आगे कहा कि सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल की कीमतों में वृद्धि ने घरेलू बाजार में सरसों की कीमत को बढ़ा दिया है। सरसों की कीमत 6,200 प्रति क्विंटल से अधिक हो गई है, जो मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 प्रति क्विंटल के ज्यादा है। मेहता के इस बयान के उलट यह बात भी सच है कि इस साल किसानों को बड़े पैमाने पर सस्ते खाद्य तेल आयात के चलते सरसों को एमएसपी से कम दाम पर बेचना पड़ा था। सरसों की फसल के बाजार में आने समय कीमतें 5000 रुपये प्रति क्विटंल से भी कम रही।
एसईए के मुताबिक 1 जून, 2024 को विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का 6.68 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं, घरेलू उत्पादन और खपत को देखते हुए पाइपलाइन स्टॉक 17.49 लाख टन है। 1 जून, 2024 को कुल स्टॉक 24.17 लाख है।