सरकार ने पीली मटर के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है। साथ ही, कृषि अवसंरचना एवं विकास उपकर को पूरी तरह से वापस ले लिया है। पीली मटर के आयात पर अभी 50 फीसदी शुल्क लगता था और इसका न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) 200 रुपये प्रति किलो था। इसे प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया था। घरेलू खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए यह फैसला किया गया है। खुदरा बाजार में पीली मटर का भाव 120 रुपये किलो के आसपास चल रहा है। यह फैसला 8 दिसंबर, 2023 से लागू हो गया है और 31 मार्च, 2024 तक प्रभावी रहेगा।
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार का पूरा फोकस खाद्य महंगाई घटाने पर है। इसके लिए दो दिन में चार बड़े फैसले किए गए हैं। 7 दिसंबर को पहले गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर पाबंदी लगाई गई ताकि घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता बेहतर रहे। उसके बाद पीली मटर के आयात पर से शुल्क हटाया गया ताकि खुदरा कीमतों में नरमी आए। 8 दिसंबर को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया और व्यापारियों, रिटेलर और प्रोसेसर्स के लिए गेहूं स्टॉक की लिमिट को घटाकर आधा कर दिया गया ताकि बाजार में उपलब्धता बनी रहे और कीमतें न बढ़े।
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा 7 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी कर पीली मटर पर से आयात शुल्क पूरी तरह से हटाने की जानकारी दी गई है। घरेलू किसानों के हितों को देखते हुए सरकार ने 2019 में मटर आयात को नियंत्रित करने के लिए भारी भरकम शुल्क लगाने और एमआईपी तय करने का फैसला किया था। इससे पीली मटर का आयात लगभग बंद हो गया था। सरकार के इस फैसले से अब मटर का आयात तेजी से बढ़ने की संभावना है। इससे चना सहित अन्य दालों की खपत पर दबाव कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस समय देश में ज्यादातर दालों के भाव में तेजी है। दालों की कमी और ऊंची कीमतों को देखते हुए ही शायद यह फैसला किया गया है।
भारत मुख्य रूप से कनाडा, रूस और यूक्रेन से पीली मटर का आयात करता है। रूस और यूक्रेन से आपूर्ति बाधित होने के चलते उम्मीद है कि कनाडा के अलावा अन्य देशों से इसका आयात हो सकता है। मटर रबी सीजन की महत्वपूर्ण दलहन फसल है जिसकी बुवाई अंतिम चरण में पहुंच गई है। मार्च-अप्रैल में इसकी आवक शुरू हो जाती है।