चार दिवसीय आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट-2022 का गुरूवार को समापन हो गया। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेयरी क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों एवं पर्यावरण पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनज़र सतत विकास का संकल्प लिया गया। समापन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने कहा कि भारत सतत विकास के लिए प्रतिबद्व है। उन्होंने कहा कि विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने लिए सतत विकास मानकों को दूध उत्पादकों पर थोपे जाने के बजाय इसे अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के अपशिष्ट के मुद्दे से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, जिसके लिए 'अपशिष्ट से धनोपार्जन' कार्यक्रम सहित कई पहलों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए गोबर का उचित उपयोग शामिल है।
रूपाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगियों द्वारा शिखर सम्मेलन में भागीदारी भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं भारत की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र द्वारा जैविक-गैस और खाद आधारित ऊर्जा संयंत्रों जैसी छोटी-छोटी पहलें 6 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप हैं।
पोषण और आजीविका के लिए डेयरी शिखर सम्मेलन का विषय पर शाह ने सम्मेलन के दौरान दुनिया के साथ भारत के अनुभव को साझा करते हुए कहा, "भारत वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा क्योंकि देश में डेयरी व्यवसाय विकास की ओर अग्रसर है, जिसके अभी तेरह ट्रिलियन रुपये से दशक के अंत तक 30 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने की आशा है। इस विकास के प्रमुख योगदानकर्ता महिलाओं सहित छोटे किसान हैं, जिन्होंने प्रौद्योगिकी और डिजिटल लेनदेन तंत्र के तेजी से विस्तार को अपनाया है। हमारे नायक 8 करोड़ डेयरी किसान हैं, जिनमें महिलाओं का योगदान 70 प्रतिशत है।"
उन्होंने भारत में 48 वर्षों के बाद आयोजित हुए इस सम्मलेन में विचार-मंथन के लिए शामिल हुए अमेरिका से दक्षिण अफ्रीका, जापान से कनाडा सहित 50 से अधिक देशों के 1500 से अधिक प्रतिनिधियों सहित वैश्विक विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट के सदस्यों के प्रमुख सत्रों सहित दुनिया भर के प्रमुख डेयरी विशेषज्ञों ने 24 सत्रों में भाग लिया, जिसमें सतत विकास से लेकर उत्पादकता, पोषण आहार और स्वास्थ्य तक कई मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि 23 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ आज भारत विश्व नेतृत्व की स्थिति में है।
समापन सत्र में केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव जितेंद्र नाथ स्वैन ने डेयरी और इसकी सतत विकास को अगले स्तर तक ले जाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
डेयरी क्षेत्र के समक्ष पशु कल्याण, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण की तीन मुख्य चुनौतियों को सूचीबद्ध करते हुए अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ (आईडीएफ) के अध्यक्ष पियरक्रिस्टियानो ब्रेजाले ने भारत के डेयरी क्षेत्र में डिजिटलीकरण की सराहना करते हुए कहा, “मैं भारत के डेयरी उद्योग में डिजिटलीकरण के स्तर से बहुत हैरान हूं।"
अंतर्राष्ट्रीय डेयरी संघ की महानिदेशक कैरोलिन एमोंड ने जलवायु परिवर्तन के अनुपालन और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ शेष विश्व के डेयरी क्षेत्र के साथ काम करने का वादा किया।
आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट-2022 भारत में 48 साल बाद आयोजित किया गया, जो पहली बार 1974 में आयोजित हुआ था।
सम्मेलन का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मामलों और सहकारिता मंत्री अमित शाह, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल की भागीदारी भी देखी गई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, राज्य मंत्री पशुपालन और डेयरी डॉ. संजीव कुमार बाल्यान और पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।