इंडियन पोटाश लिमिटेड और नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल की सहयोगी संस्था इकरो (आईपील सेंटर फॉर रूरल आउटरीच), साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (एसएबीसी), साधन सहकारी समिति लिमिटेड निधौली कलांऔर राजस्थान के अनार किसान चंद्रप्रकाश माली को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए 2023 के नेकॉफ अवार्ड से नवाजा गया है। रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में चार श्रेणियों के लिए नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद द्वारा यह अवार्ड दिया गया।
एग्रीकल्चर एक्सटेंशन कैटेगरी में पुरस्कृत संस्था इकरो (ICRO) की स्थापना मार्च 2022 में इंडियन पोटाश लिमिटेड ने अपने सीएसआर के हिस्से के रूप में नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल के साथ संयुक्त रूप से की थी। इसका मकसद रूरल आउटरीच, हेल्थकेयर, साक्षरता को बढ़ावा देने, सस्टेनेबिलिटी, प्रोडक्टिविटी और जलवायु परिवर्तन से संबंधित सामाजिक कार्य शुरू करना था। इकरो अपने अमृत इंटर्नशिप कार्यक्रम के तहत जो कार्य कर रहा है, उनमें प्रमुख हैं- युवाओं और ग्रामीण लोगों के बीच व्यावसायिक कौशल को बढ़ाते हुए उत्पादकता से संबंधित रोजगार को बढ़ावा देना, कृषि उत्पादकता में वृद्धि के बारे में जागरूकता पैदा करना, ग्रामीण परिवेश में काम करने के लिए कौशल वाले युवा उद्यमियों का नेटवर्क बनाना, युवाओं के साथ मिलकर नॉलेज रिसोर्सेज में सुधार की दिशा में काम करना और पर्यावरण सस्टेनेबिलिटी और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना।
इकरो की ओर से डॉ. राजीव रंजन ने यह अवार्ड ग्रहण किया। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव रंजन इस परियोजना के प्रमुख भी हैं। अवार्ड मिलने पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को लेकर इकरो के प्रयास को सम्मान मिलना यह बताता है कि हम सही दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।
रूरल वॉयस नेकॉफ अवार्ड 2023 ग्रहण करते इकरो के परियोजना प्रमुख डॉ. राजीव रंजन (बाएं से तीसरे)।
एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी कैटेगरी का अवार्ड जोधपुर स्थित साउथ एशिया बॉयोटेक्नोलॉजी सेंटर (एसएबीसी) को दिया गया। यह डीएसआईआर से मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन है। बायोटेकसेंटर के नाम से लोकप्रिय एसएबीसी एक नॉलेज और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हब के रूप में कार्य करता है और जमीनी स्तर पर सस्टेनेबल कृषि उत्पादन को बढ़ावा देता है।
इसके अलावा, SABC का उद्देश्य कृषि के क्षेत्र में जानकारी के अंतर को पाटना, टेक्नोलॉजी और बायो इनोवेशन के ट्रांसफर को बढ़ावा देना, बेहतर कृषि प्रथाओं के साथ इंटीग्रेटेड पेस्ट और न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट को लोकप्रिय बनाना और घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए अच्छी क्वालिटी के खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए किसानों की मदद करना है। एसएबीसी नीति आयोग एनजीओ दर्पण के साथ पंजीकृत है। इसने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग, स्पाइसेज बोर्ड ऑफ इंडिया और नाबार्ड के साथ एमओयू किया है।
एसएबीसी के फाउंडिंग डायरेक्टर भगीरथ चौधरी ने यह अवार्ड ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच तकनीकी विस्तार और इसके उपयोग के लिए उनके द्वारा किया जा रहे प्रयास का फायदा किसानों को मिल रहा है। राजस्थान के जीरा किसानों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक किसानों को जीरा का जो भाव मिल रहा था, उसमें अब तीन गुणा से ज्यादा की वृद्धि हुई है। जीरा की खेती में तकनीक के इस्तेमाल से यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि अब वे इसी तरह का प्रयास सौंफ उगाने वाले किसानों के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि अगले चार साल में बेहतर नतीजे सामने आएंगे।
रूरल वॉयस नेकॉफ अवार्ड लेते साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के फाउंडर डायरेक्टर भगीरथ चौधरी (बाएं से चौथे)।
पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव सोसायटी) श्रेणी में यह अवार्ड उत्तर प्रदेश के एटा जिले के निधौली कलां स्थित साधन सहकारी समिति लिमिटेड को दिया गया। यह समिति अपने सदस्यों को उर्वरक और बीज वितरण करने के अलावा उनसे गेहूं और धान की खरीद करती है, किसान क्रेडिट के माध्यम से अल्पकालिक ऋण वितरण करती है, मवेशियों के लिए ऋण वितरण करती है। साथ ही धर्मकांटा का संचालन भी करती है। समिति के अध्यक्ष योगेंद्रपाल सिंह सोलंकी ने प्रो. रमेश चंद से यह अवार्ड ग्रहण किया।
साधन सहकारी समिति लिमिटेड निधौली कलां के अध्यक्ष योगेंद्रपाल सिंह सोलंकी ने रूरल वॉयस नेकॉफ अवार्ड ग्रहण किया।
बेस्ट फार्मिंग प्रैक्टिसेज कैटेगरी का अवार्ड राजस्थान के अनार किसान चंद्रप्रकाश माली को दिया गया। राजस्थान के रेगिस्तान में अनार की खेती को उन्होंने मुमकिन कर दिखाया है। फलोदी जिले के डेचू गांव के चंद्रप्रकाश माली अपनी 123 बीघा जमीन में से 80 बीघा पर अनार की ही खेती करते हैं। रेत के टीलों से घिरे खेत में इन्होंने अनार के नौ हजार से ज्यादा पेड़ लगा रखे हैं। टेक्नोलॉजी और मनुष्य के श्रम के संगम का क्या परिणाम हो सकता है, उन्होंने इसकी बेहतरीन मिसाल पेश की है। पानी बचाने वाली स्प्रिंकलर सिंचाई की बदौलत माली सरसों, चना, जीरा, इसबगोल और मूंगफली की भी खेती करते हैं।
प्रो. रमेश चंद से अवार्ड लेते अनार किसान चंद्रप्रकाश माली।
चंद्रप्रकाश माली ने कहा कि किसान अगर कुछ ठान ले तो निरंतर प्रयास से उसे हासिल किया जा सकता है। कृषि बागवानी में क्रांति लाकर देश के करोड़ों किसानों के लिए मिसाल बने माली ने अवार्ड मिलने पर खुशी जताई।