केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पैक्स और एफपीओ का हाइब्रिड मॉडल बनाने की वकालत की है ताकि दोनों के बीच की व्यवस्था के आधार पर सूचना के आदान-प्रदान, मुनाफा शेयरिंग और मार्केटिंग की पूरी व्यवस्था हो सके। उन्होंने देश के सभी एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) का आह्वान किया कि वे अपने साथ पैक्स को भी जोड़ते रहें। सहकारिता क्षेत्र में एफपीओ विषय पर शुक्रवार को नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि एक नया हाइब्रिड मॉडल बनाना चाहिए जो पैक्स और एफपीओ के बीच की व्यवस्था के आधार पर सूचना के आदान-प्रदान, मुनाफा शेयरिंग और मार्केटिंग की पूरी व्यवस्था कर सके। इतने बड़े देश में जहां लगभग 65 करोड़ लोग कृषि से जुड़े हैं, सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करना, इसे आधुनिक बनाना, इसमें पारदर्शिता लाना और नई ऊंचाइयां छूने का लक्ष्य तय करना बहुत आवश्यक हो गया है। कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहकारिता ही एकमात्र ऐसा आंदोलन है जिसके माध्यम से हर व्यक्ति को समृद्ध बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी के पास पूंजी है या नहीं है, लेकिन अगर श्रम करने का हौसला, काम करने की लगन और अपने आप को आगे ले जाने की ताकत है तो सहकारिता आंदोलन बिना पूंजी वाले ऐसे लोगों को समृद्ध बनाने का बहुत बड़ा साधन बन सकता है।
उन्होंने कहा कि कृषि को आधुनिक बनाने, कृषि उपज के अच्छे दाम पाने और कृषि को फायदेमंद बनाने के लिए हमें परंपरागत तरीकों से बाहर निकलकर आज के समयानुकूल तरीकों को अपनाना होगा। पैक्स और एफपीओ इसी क्रम में एक नई शुरूआत है। आज देश में 11,770 एफपीओ काम कर रहे हैं और इनके माध्यम से देश के लाखों किसान अपनी आय बढ़ाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि बजट में 10,000 एफपीओ बनाने की घोषणा की गई है और वर्ष 2027 तक इनकी स्थापना करने का लक्ष्य है। इनपुट से लेकर आउटपुट तक, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर प्रोसेसिंग और ग्रेडिंग तक और पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग और भंडारण तक पूरी व्यवस्था, यानी कृषि उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक की पूरी व्यवस्था एफपीओ के तहत हो जाए, ऐसा कॉन्सेप्ट सरकार लेकर आई है।
उन्होंने कहा कि इनपुट की खरीद, बाजार की जानकारी, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का प्रचार, उपज के लिए इनपुट का एकत्रीकरण, भंडारण की सुविधाएं, सुखाने, सफाई और ग्रेडिंग की व्यवस्थाएं, ब्रांड बिल्डिंग के साथ-साथ पैकेजिंग, लेबलिंग और मानकीकरण की प्रक्रियाएं, गुणवत्ता पर नियंत्रण, संस्थागत खरीदारों और कॉरपोरेट घरानों के साथ जुड़कर किसान को ज्यादा दाम दिलाने की एक अच्छी व्यवस्था और जरूरत पड़ने पर किसानों को सारी सरकारी योजनाओं की सूचना देकर योजनाओं के वाहक बनने का काम भी एफपीओ ने किया है।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि किसानों को समृद्ध बनाने की सबसे अधिक क्षमता अगर किसी में है तो वो पैक्स के माध्यम से बने एफपीओ में है। इसीलिए पैक्स, एफपीओ और स्वयं सहायता के रूप में तीन-सूत्रीय ग्रामीण विकास समृद्धि का मंत्र लेकर कृषि मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय आने वाले दिनों में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि पैक्स अगर एफपीओ बनना चाहते हैं तो एनसीडीसी (NCDC) उन्हें मदद कर सकता है और इसके लिए कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन आधारित आर्थिक गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत हैं लेकिन कभी इनके बारे में देश मे चर्चा नहीं होती। आज ये तीनों क्षेत्र मिलकर देश की जीडीपी में 18 फीसदी योगदान देते हैं। ये देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और इन्हें मजबूत करने का मतलब देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इनकी मजबूती से जीडीपी के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।