शंभू बॉर्डर पर किसान पिछले पांच महीनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून (एमएसपी कानून) सहित अन्य मांगों को लेकर डटे हुए हैं। लेकिन, अब किसान दिल्ली की ओर कूच कर पाएंगे। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने इसके लिए हरियाणा सरकार को 7 दिनों की मोहलत दी है। आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अंबाला के निकट शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड्स को एक सप्ताह के भीतर हटाया जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा को कानून व्यवस्था बनाए रखने का भी आदेश जारी किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर स्थिति शांतिपूर्ण है। किसानों की मांग केंद्र सरकार से है और इसलिए उन्हें दिल्ली की तरफ जाने की छूट दे देनी चाहिए। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने कहा कि अगर वे शंभू बॉर्डर से बैरिकेड हटा देते हैं तो फिर किसान अंबाला में घुस जाएंगे और एसपी ऑफिस का घेराव करेंगे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में किसानों को राज्य में घुसने या घेराव करने से नहीं रोका जा सकता।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश को पढ़ेंगे। बाद में 16 जुलाई को सभी किसान संगठन मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की तरफ से कोई भी रास्ता बंद नहीं किया जाएगा। वहीं, किसान नेता मनजीत राय ने कहा, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। हम यहां नहीं बैठना चाहते, हम दिल्ली जाना चाहते हैं। हम इस बारे में मीटिंग कर अगली रणनीति तय करेंगे और अगले संघर्ष का एलान करेंगे।"
हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने कहा कि अदालत ने हरियाणा सरकार को सात दिनों के भीतर बैरिकेडिंग हटाने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है, तो वह कानून के अनुसार निवारक कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार से यह भी कहा गया है कि यदि उनकी तरफ कोई बैरिकेडिंग है, तो उसे भी हटा दिया जाना चाहिए।
सभरवाल ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 10 फरवरी को बैरिकेड्स लगाए गए थे। किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। हालांकि, बॉर्डर पर किसानों की संख्या में धीरे-धीरे कमी आई है।
बता दें कि शंभू बॉर्डर खुलवाने की मांग को लेकर अंबाला निवासी एडवोकेट वासु शांडिल्य ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में केंद्र, हरियाणा व पंजाब सहित कई किसान नेताओं को पक्ष बनाया गया था। लगभग पांच महीने से नेशनल हाईवे-44 किसान प्रदर्शन की वजह से बंद पड़ा है। इससे अंबाला के दुकानदार,व्यापारी, छोटे-बड़े रेहड़ी फड़ी वालों का व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है।