प्याज उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से फसल को नुकसान, कटाई में देरी से कीमतों में उछाल

महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के प्याज उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के चलते प्याज की फसल को नुकसान पहुंचा है। बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है, जिससे खरीफ प्याज की कटाई में 10 से 15 दिन की देरी हो सकती है। ऐसे में अगले हफ्ते दिवाली तक प्याज की कीमतें ऊपर बनी रहेंगी

दिवाली से पहले प्याज की कीमतों में उछाल देखने को मिला है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में भारी बारिश के कारण प्याज की फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे देश के खुदरा बाजारों में प्याज की कीमतें 10 से 20 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई हैं। पिछले हफ्ते तक 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिकने वाला प्याज अब 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के प्याज उत्पादक क्षेत्रों में खरीफ प्याज की जल्दी में बोई गई अगेती फसल को अधिक नुकसान पहुंचा है। साथ ही प्याज की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है, जिससे खरीफ प्याज की कटाई में 10 से 15 दिन की देरी हो सकती है। ऐसे में अगले हफ्ते दिवाली तक प्याज की कीमतें ऊपर बनी रहेंगी। हालांकि, प्याज व्यापारियों का कहना है कि नवंबर के दूसरे हफ्ते तक मंडियों में प्याज की आवक तेज हो जाएगी, जिससे कीमतों में कुछ राहत मिलने के आसार हैं। 

केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के अनुसार, देश भर में प्याज की औसत खुदरा कीमत 54.64 रुपये प्रति किलो बनी हुई है जबकि प्याज का अधिकतम भाव 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। वहीं, नासिक की लासलगांव मंडी में प्याज का थोक मूल्य पिछले लगभग एक महीने से 45 से 50 रुपये प्रति किलो पर स्थिर बना हुआ है।

भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष और महाराष्ट्र की नासिक मंडी के बड़े व्यापारी श्रीराम गावंडे ने रूरल वॉयस को बताया कि भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई क्षेत्रों में प्याज की फसल को नुकसान हुआ है। कई जगह प्याज की अगेती फसल की कटाई चल रही है, लेकिन बारिश के कारण इसमें थोड़ी देरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि नवंबर के दूसरे हफ्ते तक महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की आवक बढ़ जाएगी, जिससे कीमतों में नरमी आ सकती है।  

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले ने रूरल वॉयस को बताया कि फिलहाल किसानों के लिए प्याज की कीमतें ठीक बनी हुई हैं और किसानों को 45 से 50 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बीते हफ्ते हुई बारिश के चलते महाराष्ट्र के मुकाबले, दक्षिण भारत के राज्यों में प्याज की फसल को अधिक नुकसान हुआ है, क्योंकि वहां कटाई शुरू हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि इस सीजन प्याज की अच्छी बुवाई हुई है, जिससे अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। 

वहीं, प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार इन दिनों देश में रियायती दरों पर प्याज की बिक्री करवा रही है। उपभोक्ताओं को सरकारी एजेंसियों भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के माध्यम से 35 रुपये प्रति किलो की दर पर प्याज उपलब्ध कराया जा रहा है। शुरुआत में सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में रियायती दर पर प्याज की बिक्री शुरू हुई थी, लेकिन अब सरकार ने अन्य राज्यों में भी कम दाम वाले प्याज की बिक्री शुरू कर दी है। 

सरकार ने एनसीसीएफ और नेफेड के जरिए मूल्य स्थिरीकरण बफर के लिए रबी सीजन में 4.7 लाख टन प्याज खरीदा था। सरकार ने 5 सितंबर, 2024 से बफर से प्याज की बिक्री शुरू की थी, और अब तक 1.15 लाख टन प्याज बेचा जा चुका है। एनसीसीएफ 21 राज्यों में 77 केंद्रों पर और नेफेड 16 राज्यों में 43 केंद्रों पर रियायती दर वाले प्याज की बिक्री कर रहा है।