कृषि मंत्रालय ने चालू रबी सीजन (2024-25) के दौरान देश में 11.54 करोड़ टन गेहूं के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है। लेकिन समय से पहले हीटवेव और भीषण गर्मी के चलते गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमानों को झटका लग सकता है। देश के चार प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में अधिक तापमान के कारण गेहूं की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ा है। दक्षिणी हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में असामान्य तापमान के चलते गेहूं की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने रूरल वॉयस को बताया कि गेहूं की फसल को वर्ष 2021-22 में भी समय से पहले अत्यधिक गर्मी के कारण नुकसान हुआ था। इस बार उतना नुकसान तो नहीं है लेकिन मार्च के महीने में ही कई राज्यों में हीटवेव और अधिक गर्मी के कारण गेहूं की फसल प्रभावित हुई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2021-22 में देश का गेहूं उत्पादन घटकर 10.77 करोड़ टन रह गया था। उस साल फरवरी के अंत में और मार्च के शुरू में अधिक तापमान के कारण गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में उत्पादन प्रभावित हुआ था। इस साल मौसम विभाग ने भीषण गर्मी का पूर्वानुमान लगाते हुए उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में हीटेवेव वाले दिनों की संख्या अधिक रहने की संभावना जताई है। मार्च के आखिर में ही देश के कई हिस्सों में तापमान 40 डिग्री को पार करने लगा था और अप्रैल के पहले सप्ताह से ही हीटवेव चलने लगीं।
सूत्रों के मुताबिक, इस साल मध्य भारत में गेहूं की फसल अच्छी हुई है और पिछले साल के मुकाबले करीब 10-15 फीसदी पैदावार बढ़ सकती है। इस साल मध्यप्रदेश में गेहूं की अगैती किस्म एचडी-3385 का रकबा बढ़ा है। यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) पूसा ने विकसित की है। इसकी खासियत यह है कि इसे सामान्य किस्मों से पहले बोया जाता है और फरवरी-मार्च में यह तैयार होने के आखिरी चरण में आ जाती है। ऐसे में अगर मार्च के मध्य के बाद अगर तापमान बढ़ता है तो इस किस्म के गेहूं की उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है।
मध्य भारत कंसोर्सियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयस को बताया कि इस बार मध्य प्रदेश में गेहूं की बढ़िया फसल है। लेकिन हीटवेट के कारण सतना, पन्ना, रीवा क्षेत्र में देरी से बुवाई वाले गेहूं को नुकसान पहुंचा है। इन इलाकों में गेहूं की पैदावार 15 फीसदी तक घटी है। जो गेहूं दिसंबर में बोया गया था, गर्मी के कारण उसके दाने पतले पड़ गये हैं। द्विवेदी ने उम्मीद जताई कि इस बार मध्यप्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल से अधिक रहेगी।
इस तरह मध्य भारत में गेहूं की फसल जो फायदा हुआ, भीषण गर्मी के कारण कई राज्यों में हुए नुकसान ने उसे बराबर कर दिया है। इसके चलते देश में गेहूं का उत्पादन पिछले साल के स्तर पर ही रह सकता है। पिछले साल वर्ष 2023-24 में देश में 11.33 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
उत्तर भारत के राज्यों में जहां धान के बाद गेहूं की बुवाई हुई, वहां फसल बेहतर है। लेकिन देरी से बोई गई गेहूं की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इस तरह का प्रभाव हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में अधिक दिख रहा है।
इस साल अधिकांश राज्यों में उत्पादकता का स्तर 50 से 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आ रहा है। कुछ राज्यों में जरूर 54-55 क्विंटल और कहीं-कहीं 55 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता का स्तर भी आ रहा है लेकिन यह बहुत सीमित क्षेत्र में है।