दुधारू पशुओं, खासकर गायों में लम्पी जैसी बीमारियों के कारण पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में दूध उत्पादन की वृद्धि दर धीमी होकर 3.83 फीसदी रह गई। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने संसद में यह जानकारी दी है।
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रूपाला ने कहा, "देश में दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर वर्ष 2021-22 के दौरान 5.77 फीसदी थी, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 3.83 फीसदी पर पहुंच गई है।" उन्होंने लोकसभा में बताया कि 2022-23 में दूध का उत्पादन 23.06 करोड़ टन रहा। 2021-22 में यह 22.21 करोड़ टन और 2020-21 में 21 करोड़ टन रहा था। वृद्धि दर में कमी के बावजूद भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया में दूध के सबसे बड़े उत्पादक की स्थिति बरकरार रखे हुए है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पशुपालन और डेयरी विभाग स्वदेशी नस्लों के विकास एवं संरक्षण, गोवंश के आनुवंशिक उन्नयन तथा दूध उत्पादन एवं गोवंश की उत्पादकता में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन चला रहा है। यह दूध उत्पादक किसानों के लिए अधिक लाभकारी है। यह योजना विभाग की संशोधित पुनर्गठित योजनाओं के तहत 2021-2022 से 2025-2026 तक के लिए जारी है।
उन्होंने बताया कि यह योजना निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ कार्यान्वित की गई है:
- उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके गोवंश की उत्पादकता और दूध उत्पादन को स्थायी तरीके से बढ़ाना।
- प्रजनन उद्देश्यों के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के उपयोग का प्रचार करना।
- प्रजनन नेटवर्क को मजबूत करने और किसानों के दरवाजे पर कृत्रिम गर्भाधान संबंधी सेवाओं की आपूर्ति के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान के कवरेज को बढ़ाना।
- वैज्ञानिक एवं समग्र तरीके से स्वदेशी गाय और भैंस के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत वैज्ञानिक और समग्र तरीके से गोवंश के स्वदेशी नस्लों के संरक्षण एवं विकास के उद्देश्य से एकीकृत स्वदेशी मवेशी विकास केंद्रों के रूप में 16 गोकुल ग्रामों की स्थापना के लिए धनराशि जारी की गई है।
गोकुल ग्राम के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी मवेशियों के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।
- स्वदेशी नस्लों की उत्पादकता और पशु उत्पादों से होने वाले आर्थिक लाभों को स्थायी तरीके से बढ़ाना।
- स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का प्रचार करना।
- पशु शक्ति के उपयोग के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना।
- संतुलित पोषण और एकीकृत पशु स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना।
- आधुनिक फार्म प्रबंधन से संबंधित कार्यप्रणालियों को अनुकूलित करना और साझा संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- हरित ऊर्जा और इको प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।