भारत में ग्रीन कवर 25.17% हुआ, लेकिन बड़ा हिस्सा खुले वन, बांस और एग्रो-फॉरेस्ट्री

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 के अनुसार, देश में वन और वृक्ष आवरण 1445 वर्ग किमी बढ़कर 8.27 लाख वर्ग किमी हो गया है। इसमें वन आवरण लगभग 7.15 लाख वर्ग किमी (21.76 प्रतिशत) और वृक्ष आवरण 1.12 लाख वर्ग किमी (3.41 प्रतिशत) है। देश में हरित आवरण बढ़ने के बावजूद कई संवेदनशील क्षेत्रों में वनों की स्थिति चिंताजनक है।

भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा हर दो साल में प्रकाशित होने वाली “भारत वन स्थिति रिपोर्ट” इस बार साल भर की देरी से जारी हुई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश में वन और वृक्ष आवरण (ग्रीन कवर) 1445 वर्ग किमी बढ़कर 8.27 लाख वर्ग किमी हो गया है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 फीसदी है। देश में ग्रीन कवर बढ़ना अच्छा संकेत है लेकिन इसमें बड़ा हिस्सा खुले वनों, बांस, एग्रो-फॉरेस्ट्री और जंगलों के बाहर पेड़ों का है। कई संवेदनशील क्षेत्रों में वनों को नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट बताती है कि 2011 से 2021 के बीच 40,709 वर्ग किमी क्षेत्र में घने जंगल बर्बाद होकर खुले वनों में तब्दील हो गये।  

शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान में भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 का विमोचन किया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वन आवरण लगभग 7.15 लाख वर्ग किमी (21.76 प्रतिशत) और वृक्ष आवरण 1.12 लाख वर्ग किमी (3.41 प्रतिशत) है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बात पर प्रसन्नता जताई है कि 2021 की तुलना में देश के कुल वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृ‌द्धि हुई है।  

एक तिहाई से ज्यादा खुले वन 

देश के कुल 8.27 लाख वर्ग किमी ग्रीन कवर में एक तिहाई से अधिक लगभग 3.05 लाख वर्ग क्षेत्र खुले वनों का है जिनका घनत्व 40 फीसदी से कम होता है। साल 2021 से 2023 के बीच भारत के वन आवरण में केवल 156 वर्ग किमी की वृद्धि हुई, जबकि वृक्ष आवरण 1,289 वर्ग किमी बढ़ा है। इस दौरान करीब 3656 वर्ग किमी क्षेत्र में घने जंगल खत्म हो गये। हालांकि, करीब 895 वर्ग किमी गैर-वन क्षेत्र घने जंगलों में तब्दील हुआ जिसमें अधिकतर वृक्षारोपण और एग्रो-फॉरेस्ट्री शामिल है। 

सर्वाधिक वृद्धि व कमी वाले राज्य

वन एवं वृक्ष आवरण में सबसे अधिक बढ़ोतरी छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी), उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किमी), ओडिशा (559 वर्ग किमी) तथा राजस्थान (394 वर्ग किमी) में दर्ज की गई है। जबकि वन और वृक्ष आवरण में सबसे अधिक कमी मध्य प्रदेश (612 वर्ग किमी), कर्नाटक (459 वर्ग किमी), लद्दाख (159 वर्ग किमी) और नागालैंड (125 वर्ग किमी) में आई है। देश में सर्वाधिक वन एवं वृक्ष आवरण वाले शीर्ष तीन राज्य - मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग किमी), अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग किमी) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग किमी) हैं।

पश्चिमी घाट व मैंग्रोव को नुकसान

पिछले एक दशक में पश्चिमी घाट के इको-सेंसटिव वन आवरण में 58.22 वर्ग किमी की कमी है। नीलगिरी में 123 वर्ग किमी की गिरावट दर्ज की गई। 2021 से 2023 के बीच देश का मैंग्रोव क्षेत्र 7.43 वर्ग किलोमीटर घटा है, जिसमें गुजरात में सबसे अधिक 36.39 वर्ग किमी की कमी दर्ज की गई है जबकि आंध्र प्रदेश (13 वर्ग किमी) और महाराष्ट्र (12 वर्ग किमी) में मैंग्रोव क्षेत्र बढ़ा है। पूर्वोत्तर भारत के वन आवरण में 327 वर्ग किमी की कमी दर्ज की गई है जबकि देश के पर्वतीय जिलों में वन आवरण 234 वर्ग किमी बढ़ा है।

वन क्षेत्रों के बाहर बढ़ा हरित आवरण  

देश के कुल वन एवं वृक्ष आवरण में करीब 37 फीसदी हिस्सा जंगलों के बाहर पेड़ों का है। सबसे ज्यादा वृक्ष आवरण महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में है जो इन राज्यों में बढ़ती एग्रो-फॉरेस्ट्री का प्रमाण है। वन आवरण में अधिकांश वृद्धि (149 वर्ग किमी) वन क्षेत्रों के बाहर हुई है जबकि वन क्षेत्रों के अंदर केवल 7.28 वर्ग किमी वन आवरण बढ़ा है।  

भारतीय वन सर्वेक्षण ने वन और वृक्ष आवरण में बांस को भी शामिल किया है। देश में बांस क्षेत्र का विस्तार 5,227 वर्ग किमी की वृद्धि के साथ 1.54 लाख वर्ग किमी क्षेत्र तक हो गया है जो देश के कुल हरित आवरण का 18 फीसदी से अधिक है। एग्रो-फॉरेस्ट्री के अंतर्गत कुल वृक्ष आवरण 2023 में 1.27 लाख वर्ग किमी होने का अनुमान है, जो 2013 की तुलना में 21,286 वर्ग किमी (20.02%) अधिक है।

वनों में आग

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 में देश में जंगलों की आग के 2.03 लाख हॉटस्पॉट थे, जो 2021-22 में 2.23 लाख थे। नवंबर '23 और जून '24 के बीच, जंगलों में आग की सर्वाधिक घटनाएं उत्तराखंड (21,033), ओडिशा (20,973) और छत्तीसगढ़ (18,950) में हुईं। राष्ट्रीय स्तर पर जंगल में आग की घटनाएं कम होने के बावजूद उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वनाग्नि की काफी घटनाएं बढ़ी हैं।

भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2023 राष्ट्रीय स्तर पर वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि को दर्शाती है, लेकिन इको-सिस्टम के लिहाज से संवेदनशील प्राकृतिक वनों को नुकसान पहुंचा है। यह वन संरक्षण के मौजूदा प्रयासों और नीतियों के बारे में चिंताएं पैदा करता है।

कार्बन स्टॉक

देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,28.55 करोड़ टन अनुमानित है। पिछले आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 8.15 करोड़ टन की वृद्धि हुई है। भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 अरब टन CO₂ के समतुल्य तक पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में, भारत पहले ही 2.29 अरब टन अतिरिक्त कार्बन सिंक को प्राप्त कर चुका है जबकि 2030 तक 2.5 से 3.0 अरब टन का लक्ष्य रखा गया है। जलवायु लक्ष्यों की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रगति है।

वन आवरण और वृक्ष आवरण

भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, वन आवरण का मतलब एक हेक्टेयर से अधिक ऐसे क्षेत्र से है जहां वृक्ष छत्र घनत्व 10 प्रतिशत से अधिक है, चाहे स्वामित्व, लैंड यूज या कानूनी स्थिति कुछ भी हो। इसमें प्राकृतिक वनों के साथ-साथ बाग-बगीचे, बांस और एग्रो-फॉरेस्ट्री भी शामिल है। वन क्षेत्र के बाहर एक हेक्टेयर से कम क्षेत्र में फैले पेड़ों को वृक्ष आवरण में गिना जाता है। भारतीय वन सर्वेक्षण ने बांस को भी वन एवं वृक्ष आवरण में शामिल किया है।