केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात को सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना और विकास उपकर से छूट दे दी है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि आयात शुल्क में छूट केवल 2022-23 वित्त वर्ष के लिए टीआरक्यू (टैरिफ रेट कोटा) लाइसेंस रखने वाले आयातकों के लिए है। यह छूट 30 जून तक के लिए दी गई है।
इससे आने वाले दिनों में खाद्य तेलों की कीमतों में और गिरावट आने और उपभोक्ताओं को सस्ते खाद्य तेल उपलब्ध होने का रास्ता साफ हो गया है। साथ ही घरेलू बाजार में तिलहन फसलों के दाम खासकर सरसों की कीमत और घटने की आशंका बढ़ गई है। इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा।
टीआरक्यू के तहत अपेक्षाकृत कम शुल्क पर आयात की एक निश्चित मात्रा की अनुमति है। एक बार मात्रा की सीमा समाप्त हो जाने के बाद अतिरिक्त आयात पर उच्च शुल्क लागू होता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा आयातकों को टीआरक्यू आवंटित किया जाता है। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर 30 जून, 2023 तक 2022-23 के लिए टीआरक्यू लाइसेंसधारकों के लिए शून्य सीमा शुल्क और शून्य एग्री सेस पर कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात की अनुमति दी है। यह अधिसूचना 11 मई से प्रभावी हो गई है और 30 जून ही लागू है।
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सरकार ने यह छूट इसलिए दी है क्योंकि आयात नियमों को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई थी। इससे हजारों कार्गो बंदरगाहों पर फंस गए थे। भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। भारत अपनी जरूरतों का 65 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। इस साल की शुरुआत में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 20 लाख टन सूरजमुखी तेल और सोया तेल के आयात शुल्क में दी जाने वाली छूट को समाप्त कर दिया था। इससे भारतीय बंदरगाहों पर करीब 90 हजार टन माल से लदे कार्गो फंस गए थे जिनका लदान 31 मार्च से पहले किया गया था।
नए आदेश के बाद ये माल घरेलू बाजार में आ सकते हैं। भारत मुख्य रूप से अमेरिका, अर्जेंटीना और ब्राजील से सोया तेल और रूस व यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात करता है।