अरहर आयात पर से हटी ड्यूटी, उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत, किसानों को होगा नुकसान

साबूत अरहर पर अभी 10 फीसदी की दर से आयात शुल्क लगता था। हालांकि, अधिसूचना में कहा गया है कि साबूत अरहर को छोड़कर अन्य अरहर दाल पर पहले की तरह 10 फीसदी आयात शुल्क लगता रहेगा। एक तरफ सरकार का जोर महंगाई घटाने पर है ताकि आम जनता को राहत मिले लेकिन इससे किसानों को नुकसान होता है। सरकार के इन कदमों से किसानों को उनकी फसल की कम कीमत मिलती है।  

प्रतीकात्मक फोटो

अरहर दाल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने साबूत अरहर का शुल्क मुक्त आयात करने का फैसला किया है। इससे महंगाई के साथ-साथ बाजार में इसकी कीमतें घटाने में मदद मिलेगी। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है जो 4 मार्च से प्रभावी हो गई है। साबूत अरहर पर अभी 10 फीसदी की दर से आयात शुल्क लगता था। हालांकि, अधिसूचना में कहा गया है कि साबूत अरहर को छोड़कर अन्य अरहर दाल पर पहले की तरह 10 फीसदी आयात शुल्क लगता रहेगा। एक तरफ सरकार का जोर महंगाई घटाने पर है ताकि आम जनता को राहत मिले लेकिन इससे किसानों को नुकसान होता है। सरकार के इन कदमों से किसानों को उनकी फसल की कम कीमत मिलती है।  

वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने साबूत अरहर (तुअर) पर शुल्क हटाने का आदेश 3 मार्च, 2023 को जारी किया है। कृषि मंत्रालय के शुरुआती अग्रिम अनुमान में अरहर का उत्पादन घटने की आशंका को देखते हुए यह फैसला किया गया है। चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में अरहर का उत्पादन घटकर 38.9 लाख टन रहने का अनुमान कृषि मंत्रालय ने लगाया है। इससे पिछले वर्ष में 43.4 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था। अरहर खरीफ की फसल है। सरकार ने चालू फसल वर्ष के लिए इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। उत्पादन में कमी का असर बाजार पर भी देखा जा रहा है और किसानों को उनकी उपज का ज्यादा दाम मिल रहा है। अभी देश की ज्यादातर मंडियों में अरहर का औसत भाव एमएसपी से ऊपर करीब 7,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। अरहर की सबसे बड़ी मंडी लातूर मंडी में न्यूनतम भाव 7,500 रुपये और अधिकतम 8,300 रुपये के करीब है।

उत्पादन में कमी को देखते हुए इसी साल जनवरी में सरकार ने अच्छी गुणवत्ता वाली 10 लाख टन अरहर के आयात की योजना बनाई है। दिसंबर 2022 में करीब 2 लाख टन अरहर का आयात हुआ था। देश में अरहर का सबसे अधिक आयात पूर्वी अफ्रीकी देश और म्यांमार से होता है। 2021-22 में देश में करीब 7.6 लाख टन अरहर का आयात हुआ था। इससे पहले नवंबर 2022 में केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि अरहर दाल के सभी व्यापारियों (ट्रेडर, इंपोर्टर, स्टॉकिस्ट) को अपने स्टॉक के बारे में हर जानकारी अपने राज्य की सरकार को देनी होगी। उन्हें भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पोर्टल पर नियमित रूप से स्टॉक के बारे में बताना होगा। साथ ही राज्य सरकारों से कहा था कि वह इसकी निगरानी करती रहे ताकि दाल की कालाबाजारी और बढ़ती कीमतों को रोका जा सके।  

भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। दुनिया के कुल दलहन उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 24 फीसदी है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश में दालों की खपत करीब 226 लाख टन सालाना है। इसके मुकाबले घरेलू उत्पादन करीब 190 लाख टन है। घरेलू जरूरत का बाकी दाल आयात किया जाता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश,  महाराष्ट्र और कर्नाटक में देश के कुल दलहन उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन होता है।