प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाए जाने के फैसले के खिलाफ किसानों के तेज होते आंदोलन और उनकी नाराजगी को दूर करने की कोशिश के तहत मंगलवार को केंद्र सरकार ने ऐलान किया कि किसानों से 2,410 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर प्याज की खरीद की जाएगी। प्याज किसानों के हित में सरकार सभी कदम उठा रही है। मगर किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार निर्यात शुल्क को वापस नहीं लेती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि बफर स्टॉक के लिए अतिरिक्त 2 लाख टन प्याज की खरीद 2,410 रुपये प्रति क्विंटल पर करने का फैसला किया गया है। उन्होंने किसानों से कहा कि वे इससे कम कीमत पर अपनी फसल न बेचें। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रख रही है। इसलिए एनसीसीएफ के खुदरा आउटलेट और मोबाइल वैन के जरिये 25 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर प्याज की बिक्री शुरू की गई है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार ने उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए प्याज निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगाया है ताकि घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाई जा सके, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज किसानों से खरीदने का फैसला किया है। इसलिए किसानों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। किसान और उपभोक्ता दोनों हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। पीयूष गोयल के इस ऐलान के बाद किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि इससे किसानों का भला होने वाला नहीं है। जब तक सरकार निर्यात शुल्क लगाने का फैसला वापस नहीं लेती है तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस से कहा, “जून महीने में जब बारिश की वजह से प्याज की फसल खराब हो गई और बाजार में दाम गिर गए थे तब सरकारी एजेंसी नेफेड ने 10-11 रुपये प्रति किलो पर प्याज खरीदा। तब हम मांग कर रहे थे कि 25 रुपये प्रति किलो पर सरकारी खरीद की जाए ताकि बारिश की वजह से हुए नुकसान से किसानों को कुछ राहत मिल सके। मगर तब सरकार ने ऐसा नहीं किया। बारिश और किसानों के पास भंडारण की क्षमता न होने की वजह से 40-45 फीसदी प्याज खराब हो गया। किसानों को तो उनकी उपज के 55-60 फीसदी हिस्से का ही दाम मिल पा रहा है। सरकार ने जिस कीमत पर खरीदने की बात कही है उससे नुकसान की पूरी भरपाई कैसे हो पाएगी। जब किसानों की फसल बर्बाद हो रही थी और उनका नुकसान हो रहा था तब सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की। अब जब दाम बढ़ रहे थे और किसानों की कमाई का समय आया तो सरकार ने 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाकर एक बार फिर से उनका नुकसान कर दिया।”
राजू शेट्टी का कहना है कि अगर निर्यात शुल्क नहीं लगाया जाता तो किसानों को 35-40 रुपये प्रति किलो तक दाम मिल सकते थे जिससे उनको राहत मिलती और नुकसान की भरपाई होती। इसलिए जब तक सरकार अपना यह फैसला वापस नहीं लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सरकार के इस फैसले से व्यापारियों का भी नुकसान हो रहा है, इसलिए वे भी किसानों के समर्थन में हैं।
मंगलवार को पूरे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों का आंदोलन जारी रहा। आंदोलन के समर्थन में प्याज की थोक मंडियां बंद रहीं।