कीमतों को नियंत्रित करने की तमाम कोशिशों के बावजूद गेहूं के लगातार बढ़ते दाम से परेशान केंद्र सरकार ने गुरुवार को स्टॉक लिमिट में कटौती करने का एक और कदम उठाने का ऐलान किया है। सरकार ने गेहूं व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़े रिटेल चेन के लिए गेहूं के स्टॉक लिमिट को तत्काल प्रभाव से 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन कर दिया। इससे पहले 12 जून को सरकार ने स्टॉक लिमिट लगाने और उससे पहले पिछले साल मई में गेहूं का निर्यात रोकने का फैसला किया था ताकि घरेलू बाजार में कीमतें नियंत्रण में रहे।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा, "गेहूं की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए हमने भंडारण सीमा की समीक्षा की। हमने पाया कि गेहूं की कीमतों में तेजी है। इसे देखते हुए आज से व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़े रिटेल चेन के लिए भंडारण सीमा को घटाकर 2000 टन कर दिया गया है।" पिछले एक महीने में कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर गेहूं का दाम 4 फीसदी बढ़कर 2,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।'
चोपड़ा ने संवाददाताओं से कहा, "हालांकि देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है। मुझे लगता है कि कुछ तत्व हैं जो कुछ गेहूं की कृत्रिम कमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।" गेहूं पर स्टॉक लिमिट 31 मार्च, 2024 तक के लिए लगाया गया है। खुदरा बाजार में गेहूं की अखिल भारतीय औसत कीमत गुरुवार को महीने के आधार पर 1.3 फीसदी और सालाना आधार पर 10.4 फीसदी बढ़कर लगभग 30 रुपये प्रति किलो हो गई। थोक बाजार में अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं की औसत कीमतें 2,668 रुपये प्रति किलो रही जो महीने-दर-महीने 0.2 फीसदी और सालाना आधार पर 4.2 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है।
चोपड़ा ने बताया कि फिलहाल केंद्रीय पूल में 2.55 करोड़ टन गेहूं मौजूद है, जबकि आवश्यकता 2.02 करोड़ टन की है। बाजार हस्तक्षेप के लिए बफर स्टॉक के अतिरिक्त 30 लाख टन अधिशेष गेहूं उपलब्ध है और अन्य 57 लाख टन पहले ही बाजार हस्तक्षेप के लिए रखा जा चुका है।
खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर टिप्पणी करते हुए चोपड़ा ने कहा कि त्योहारी सीजन के दौरान आने वाले महीनों में चीनी और खाद्य तेल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है।