केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ प्याज की बैंगलोर रोज किस्म के निर्यात को शुल्क से छूट दे दी है। बैंगलोर रोज प्याज को 2015 में जीआई टैग दिया गया था। इस प्याज का बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है लेकिन देश में इसका इस्तेमाल कम ही किया जाता है। जिन देशों को इसका निर्यात किया जाता है उनमें सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, बहरीन, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं। प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार ने अगस्त से प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। साथ ही मंत्रालय ने यह शर्त रखी है कि प्याज निर्यातकों को राज्य बागवानी आयुक्त से एक प्रमाण-पत्र लेना होगा जो निर्यात किए जाने वाले बैंगलोर रोज प्याज की किस्म और मात्रा को प्रमाणित करता हो।
सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और स्थानीय बाजार में बढ़ती कीमत को रोकने के लिए प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर अगस्त 2023 में 40 फीसदी शुल्क लगाया था। उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर प्याज की औसत कीमत 33.53 रुपये प्रति किलो है।
केंद्र सरकार ने 2022-23 में बफर स्टॉक के लिए 2.50 लाख टन प्याज खरीदा है। हालांकि, देश में प्याज के पर्याप्त भंडार के बावजूद इस साल लंबे समय तक ज्यादा गर्मी के कारण खराब गुणवत्ता वाले प्याज की अधिकता के कारण अच्छी गुणवत्ता वाला प्याज महंगा हो गया है। वहीं 2022-23 के दौरान प्याज का निर्यात मात्रा के हिसाब से 64 फीसदी बढ़कर छह साल के उच्चतम स्तर 25.25 लाख टन पर पहुंच गया।
बैंगलोर रोज प्याज की अनूठी विशेषताएं हैं। इस प्याज में सपाट आधार वाले बल्ब होते हैं, यह गोलाकार होता है और इसका रंग गहरा लाल होता है। सामान्य प्याज के मुकाबले ये एंथोसायनिन, फिनोल और उच्च तीखेपन से भरपूर होते हैं। इसके अलावा यह फास्फोरस, प्रोटीन, आयरन और कैरोटीन से भरपूर होता है। अचार में इस्तेमाल करने के लिए इसे सबसे उपयोगी माना जाता है।
वित्त वर्ष 2010-11 में लगभग 22,000 टन बैंगलोर रोज प्याज का निर्यात किया गया था। हालांकि, यह 2003-04 और 2005-06 के निर्यात की तुलना में कम था। इन वर्षों में इन प्याज का निर्यात क्रमशः 36000 टन और 32,000 टन रहा था।
उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए कर्नाटक में इसके लिए कृषि निर्यात क्षेत्र की स्थापना की गई। इसके अलावा, भारत सरकार ने 2015 में इस प्याज को जीआई टैग प्रदान किया। इन उपायों से कर्नाटक में बैंगलोर रोज प्याज का उत्पादन प्रति वर्ष लगभग 60,000 टन तक पहुंच गया है। प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने के बाद इसका निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। बैंगलोर रोज प्याज और कृष्णापुरम प्याज का लगभग 90 फीसदी निर्यात होता है। कृष्णापुरम प्याज रोज प्याज की तरह ही है।
लगभग 80-85 फीसदी बैंगलोर रोज प्याज का उत्पादन रबी सीजन में होता जाता है और बाकी का उत्पादन खरीफ सीजन के दौरान किया जाता है। 40 फीसदी निर्यात शुल्क के कारण किसानों को बैंगलोर रोज प्याज को 6 रुपये प्रति किलोग्राम की बहुत कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे किसानों की आय पर असर पड़ा है।
शेतकारी संघटना के पूर्व अध्यक्ष और कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य अनिल घनवत ने रूरल वॉयस को बताया कि प्याज की किसी भी किस्म के निर्यात पर शुल्क की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, ''प्याज पर कोई निर्यात शुल्क लगाने की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह से मुक्त होना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले और उसके समय पर राजनीति दिख रही है।
प्याज की इस किस्म को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में उगाया जाता है। उन्होंने कहा कि चूंकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में चुनाव होने वाले हैं इसलिए इस क्षेत्र के किसानों को खुश करने और उनके वोट हासिल करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इस प्याज की खासियत के बारे में पूछे जाने पर घनवत ने कहा कि इसकी गुणवत्ता बेहतर है और उत्पादकता भी अधिक है।