सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष को चलाने के लिए एक नई अधिकार प्राप्त समिति (इंपावर्ड कमेटी) का गठन किया है। इस समिति में 10 सदस्य बनाए गए हैं। 30 मई 2023 को जारी ऑफिस ऑर्डर के अनुसार इसका कार्यकाल तीन साल का रखा गया है। लेकिन समिति के ढांचे पर कई वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों ने सवाल उठाए हैं।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष (एनएएसएफ), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीन बॉडी है। लेकिन सदस्यों की सूची में आईसीएआर के महानिदेशक का नाम आठवें स्थान पर है। गुजरात स्थित जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. ए.आर. पाठक इसके चेयरमैन बनाए गए हैं। यही नहीं, सूची में शामिल पहले पांच नाम विभिन्न संस्थानों के पूर्व पदाधिकारियों के हैं।
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. सुधीर कुमार सोपोरी, आईसीएआर-आईवीआरआई इज्जतनगर के पूर्व डायरेक्टर डॉ. आर.के. सिंह, परभणी स्थित वीएनएमकेवी के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. बी.बी. वेंकटेश्वरुलु और योजना आयोग के पूर्व सलाहकार डॉ. वी.वी. सदामते इनमें शामिल हैं। इनके अलावा बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रतिनिधि, सीएसआईआर के प्रतिनिधि, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) के सचिव और आईसीएआर महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक और आईसीएआर के एएस एंड एएफ इसके सदस्य बनाए गए हैं। फंड के एडीजी डॉ. जितेन्द्र कुमार इसके कन्वीनर हैं।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष को गवर्न करने के गठित समिति के ढांचे पर टिप्पणी करते हुए देश के वरिष्ठ वैज्ञानिकों में शुमार होने वाले एक प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक ने रूरल वॉयस के साथ बातचीत में कहा कि इस समिति का स्ट्रक्चर तर्कसंगत नहीं है। बेहतर होता कि आईसीएआर के महानिदेशक को इस समिति का चेयरमैन बनाया जाता।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष (एनएएसएफ) के सहायक महानिदेशक (एडीजी) डॉ. जितेन्द्र कुमार के हस्ताक्षर से जारी इस ऑफिस ऑर्डर के अनुसार यह समिति जरूरत के मुताबिक नियमों और प्रक्रियाओं में बदलाव कर सकेगी। फंड के लिए क्या नीति होनी चाहिए और उसकी प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए, यह तय करने का अधिकार भी समिति के पास होगा। इसके अलावा विभिन्न रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी देने तथा पुराने प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग का जिम्मा भी इसे दिया गया है।
फंड का पुराना नाम नेशनल फंड फॉर बेसिक, स्ट्रैटजिक एंड फ्रंटियर एप्लिकेशन रिसर्च इन एग्रीकल्चर था। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इसका नाम बदल कर राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष रखा गया था। इस फंड का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में रिसर्च और रिसर्च की संस्कृति को बढ़ावा देना, साझीदारी के जरिए नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च सिस्टम को मजबूत बनाना, नीति निर्माताओं की मदद करना और लोगों में कृषि विज्ञान से संबंधित जागरूकता फैलाने के लिए वर्कशॉप और सेमिनार आदि का आयोजन करना है।