केंद्र सरकार ने देश की सभी चीनों मिलों को 2024-25 चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान अपने उत्पादन का 20 फीसदी हिस्सा जूट की बोरियों में पैक करने का निर्देश जारी किया है। साथ ही ऐसा न करने वाली चीनों मिलों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस संबंध में सभी चीनों मिलों को पत्र भेजा है, जिसमें कपड़ा मंत्रालय के आदेश का जिक्र किया गया है। हालांकि, पत्र में यह नहीं बताया गया है कि चीनी मिलों पर किस तरह की कार्रवाई होगी।
चीनों मिलों को भेजे पत्र में कहा गया है कि 1 अक्टूबर को कपड़ा मंत्रालय ने चीनी मिलों को 20 फीसदी जूट पैकेजिंग का आदेश जारी किया। इस फैसले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पहले 28 जून को रोक लगाई थी, लेकिन बाद में 26 सितंबर को खंडपीठ ने इस रोक को खारिज कर दिया था। जिसके बाद यह आदेश पुनः प्रभावी हुआ। खाद्य मंत्रालय ने साफ किया है कि इस निर्देश का उल्लंघन करने पर चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, सरकार ने चीनी मिलों को अक्टूबर 2024 से मासिक रिटर्न (पी-2 शीट) में जूट बैग से पैकेजिंग की जानकारी अनिवार्य रूप से देने का निर्देश भी दिया है।
गौरतलब है कि इस वर्ष कच्चे जूट (जूट और मेस्टा) का रकबा 6.67 लाख हेक्टेयर से घटकर 5.74 लाख हेक्टेयर रह गया है, जिसके कारण उत्पादन में कमी की संभावना जताई जा रही है। प्रमुख जूट उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में भी जूट के क्षेत्र में गिरावट आई है, जिससे जूट की उपलब्धता कम हो सकती है। इसी कारण सभी चीनी मिलों को 20 फीसदी पैकेजिंग के लिए जूट बैग का उपयोग अनिवार्य किया गया है। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य जूट उद्योग को बढ़ावा देना और पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग को प्रोत्साहित करना है।