वाणिज्य मंत्रालय ने गेहूं निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट हासिल करना और सख्त कर दिया है। अब निर्यातकों को 13 मई या उससे पहले लेटर ऑफ क्रेडिट के साथ विदेशी बैंक के साथ संदेश के आदान-प्रदान की तारीख भी बतानी पड़ेगी, तभी उनके आवेदन पर विचार किया जाएगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को इस संबंध में नोटिस जारी किया है। सरकार ने 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन जिन निर्यातकों ने 13 मई तक इरिवोकेबल लेटर ऑफ क्रेडिट हासिल कर लिए थे, उन्हें निर्यात करने की अनुमति है।
नोटिस में कहा गया है कि डीजीएफटी ने 19 मई को अपने सभी क्षेत्रीय अथॉरिटी को गाइडलाइंस जारी किए थे। इसमें योग्य निर्यातकों को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने से पहले सख्त कंप्लायंस के पालन की हिदायत दी गई थी। लेकिन कुछ निर्यातकों की तरफ से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए गलत दस्तावेज जमा करने की जानकारी मिली है। इसी को देखते हुए कंप्लायंस को और सख्त किया गया है।
सोमवार को जारी नोटिस में कहा गया है, “लूपहोल खत्म करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि क्षेत्रीय अथॉरिटी सभी एलसी का भौतिक सत्यापन करेंगी, भले ही उन्हें मंजूरी मिल चुकी हो या मंजूरी की प्रक्रिया में हों। जरूरी हुआ तो इसके लिए किसी प्रोफेशनल एजेंसी की भी मदद ली जा सकती है। भौतिक सत्यापन के दौरान प्राप्तकर्ता बैंक की तरफ से दिया गया एंडोर्समेंट सुनिश्चित किया जाए।”
अगर एलसी की तारीख 13 मई से पहले की है लेकिन भारतीय और विदेशी बैंकों के बीच स्विफ्ट मैसेज का आदान-प्रदान 13 मई के बाद हुआ है, तो ऐसे मामलों में क्षेत्रीय अथॉरिटी पूरी जांच-पड़ताल करे। जरूरी हो तो बाहरी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा सकती है। सूचना गलत पाए जाने पर निर्यातक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मामले की आर्थिक अपराध शाखा और सीबीआई से भी जांच कराने की बात कही गई है। अगर कोई बैंकर गलत कार्य में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस के मुताबिक क्षेत्रीय अथॉरिटी में एलसी के भौतिक सत्यापन के बाद जिन आवेदनों को योग्य पाया जाएगा, उन्हें आगे जांच और मंजूरी के लिए डीजीएफटी मुख्यालय में दो एडिशनल डीजीएफटी की समिति के पास भेजा जाएगा। इस दो सदस्यीय समिति की मंजूरी के बाद ही क्षेत्रीय अथॉरिटी निर्यातक को आरसी जारी करेगी।