सरकार ने पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर ड्यूटी लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा कच्चा तेल उत्पादन करने वाली घरेलू कंपनियों विंडफॉल टैक्स लगाया गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर 6 रुपए लीटर तथा डीजल निर्यात पर 13 रुपए प्रति लीटर की ड्यूटी लगाई गई है। जहां तक कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स लगाने की बात है तो इसकी दर 23,250 रुपए प्रति टन है।
ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड, केयर्न ऑयल एंड गैस जैसी कंपनियां भारत में कच्चे तेल का उत्पादन करती हैं। उनका सालाना उत्पादन 3 करोड़ टन के आसपास है। इस तरह सरकार को विंडफॉल टैक्स के रूप में साल भर में 67,425 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
बीते कुछ महीने से देश के कई हिस्सों में पेट्रोल और डीजल की कमी की शिकायतें आ रही थीं। माना जा रहा है कि घरेलू सप्लाई बढ़ाने के लिए ही सरकार ने इन पर निर्यात पर ड्यूटी लगाई है। यूक्रेन और रूस के हमले के बाद यूरोप तथा अमेरिका को भारत से रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने काफी निर्यात किया है जिससे उन्हें अच्छी कमाई भी हुई है। इन दोनों कंपनियों के अपने पेट्रोल पंप हैं लेकिन घरेलू बाजार में कीमतें नियंत्रित होने के चलते यह कंपनियां निर्यात को तरजीह दे रही थीं।
सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 5 फ़ीसदी बढ़ाई गई
सरकार ने सोने पर आयात शुल्क भी 10 फ़ीसदी से बढ़ाकर 15 फ़ीसदी कर दिया है। यह 30 जून से प्रभावी हो गया है। सोने पर पहले 7.5 फ़ीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगती थी। इसे बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी किया गया है। इसके अलावा सोने के आयात पर 2.5 फ़ीसदी एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस भी लगता है। हाल के महीनों में सोने के आयात में काफी वृद्धि हुई है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है। डॉलर की मांग बढ़ने से रुपया भी प्रभावित हुआ है। यह 79 रुपए प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुका है।