गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार ने खरीद मानकों में ढील देने का फैसला किया है। इसके अलावा गेहूं खरीद की अवधि भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार अगर किसी किसान के गेहूं में 18 फ़ीसदी तक दाने से सिकुड़े या टूटे हुए हैं तो उसे सामान्य मान कर पूरा भुगतान किया जाएगा। अभी तक यह सीमा 6 फ़ीसदी थी। मार्च और अप्रैल में अचानक तापमान बढ़ने के कारण गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं। जहां तक केंद्रीय पूल के लिए खरीद की बात है, तो इसे हरियाणा में 15 मई से बढ़ाकर 31 मई तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, “एफसीआई पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में दाम में बिना कटौती किए 18 फ़ीसदी तक सिकुड़े और टूटे दानों वाला अनाज खरीदेगा। इस निर्णय से किसानों को मदद मिलेगी और उन्हें औने-पौने दाम पर गेहूं नहीं बेचना पड़ेगा।” हालांकि पंजाब और हरियाणा ने केंद्र से से खरीद मानकों में 20 फ़ीसदी तक ढील देने का आग्रह किया था।
केंद्र ने यह निर्णय ऐसे समय लिया है जब दोनों राज्यों में खरीद लगभग खत्म होने वाली है। पंजाब सरकार तो 5 मई से ही विभिन्न मंडियों में चरणबद्ध तरीके से खरीद बंद करने की घोषणा कर चुकी है। केंद्र ने पंजाब से भी 31 मई तक खरीद जारी रखने का आग्रह किया है। इसके बाद पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लालचंद कटरुचक ने 232 मंडियों में इस माह के अंत तक खरीद जारी रखने का आदेश जारी किया है।
जहां तक अन्य राज्यों में सरकारी खरीद की अंतिम तारीख की बात है, तो दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में 31 मई तक और राजस्थान में 10 जून तक एजेंसियां गेहूं खरीदेंगी। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और हिमाचल में 15 जून तक गेहूं की खरीद होगी। उत्तराखंड में 30 जून तक और बिहार में 15 जुलाई तक गेहूं खरीदा जाएगा।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सेंट्रल फूड ग्रेंस प्रोक्योरमेंट पोर्टल के अनुसार अभी तक 179.99 लाख टन गेहूं खरीदा गया है। पंजाब में 95.56 लाख टन, मध्य प्रदेश में 41.34 लाख टन, हरियाणा में 40.60 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 2.37 लाख टन और राजस्थान में सिर्फ 762 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। सरकार ने पहले 444 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था, जिसे बाद में संशोधित करके 195 लाख टन किया गया है।