अगले महीने से मिलेट का निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने व्यापक रणनीति बनाई है। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने वाली संस्था एपीडा के माध्यम से वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इन पोषक अनाजों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना तैयार की है।
भारत की पहल पर 5 मार्च 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया था। भारत के उस प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया। भारत सरकार अभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मिलेट और इसके वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। भारत ने 2021-22 में 3.43 अरब डॉलर के मिलेट उत्पादों का निर्यात किया था।
अगला साल अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष है, यह देखते हुए विभिन्न देशों में भारतीय मिलेट की ब्रांडिंग और लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भारतीय दूतावासों की भी मदद ली जाएगी। मिलेट का निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 16 अंतरराष्ट्रीय ट्रेड एक्सपो और बायर-सेलर मीट में निर्यातकों, किसानों और व्यापारियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की योजना बनाई है।
भारतीय दूतावासों से अंतरराष्ट्रीय शेफ और संभावित खरीदारों की पहचान करने के लिए कहा जाएगा। इन खरीदारों में डिपार्टमेंटल स्टोर, सुपरमार्केट और हाइपरमार्केट हो सकते हैं। उनके लिए दूतावास b2b मीटिंग आयोजित करेंगे। इसके अलावा भारत में अन्य देशों के राजदूतों और संभावित खरीदारों को भी आमंत्रित किया जाएगा तथा उन्हें मिलेट से बने प्रोडक्ट के बारे में बताया जाएगा।
एपीडा ने दक्षिण अफ्रीका, दुबई, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी, इंग्लैंड और अमेरिका में मिलेट का प्रमोशन करने वाली गतिविधियां आयोजित करने की योजना बनाई है। इसके लिए फूड शो, बायर-सेलर मीट और रोड शो आयोजित किए जाएंगे।
एपीडा ने गल्फूड 2023, फूड एक्स, सियोल फूड एंड होटल शो, सऊदी एग्रो फूड, सिडनी के फाइन फूड शो, बेल्जियम के फूड एंड बेवरेज शो, जर्मनी के बायोफेक और अनुगा फूड फेयर तथा सैनफ्रांसिस्को के विंटर फैंसी फूड शो में भी मिलेट और इसके वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स को शोकेस करने की योजना बनाई है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े मिलेट उत्पादकों में एक है। इस समय दुनिया में जितने मिलेट का उत्पादन होता है उसका 41% अकेले भारत में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2020 में पूरे विश्व में 3.04 करोड़ टन मिलेट का उत्पादन हुआ था जिसमें भारत के हिस्सेदारी 1.25 करोड़ टन थी। 2021-22 में यहां 1.59 करोड़ टन मिलेट का उत्पादन हुआ जो उसे पिछले साल की तुलना में 27% ज्यादा है।
भारत के पांच प्रमुख मिलेट उत्पादक राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश हैं। अभी देश में जितने मिलेट का उत्पादन होता है उसका सिर्फ 1% निर्यात किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से होल ग्रेन का ही निर्यात होता है। वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट का निर्यात बहुत ही कम है। आने वाले दिनों में मिलेट का बाजार तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अभी इसका बाजार करीब नौ अरब डॉलर का है जिसके 2025 तक 12 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 की प्री लॉन्चिंग 5 दिसंबर 2022 को होगी। इसमें एफपीओ, स्टार्टअप, निर्यातक, वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट बनाने वाले जैसे स्टेकहोल्डर्स को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा इंडोनेशिया, जापान और इंग्लैंड में भारतीय मिलेट को प्रमोट करने के लिए बायर-सेलर मीट आयोजित किए जाएंगे। एपीडा विभिन्न देशों के बाजारों में रिटेल स्तर पर फूड सैंपलिंग और टेस्टिंग कार्यक्रम भी आयोजित करेगा जहां परिवार और व्यक्तिगत उपभोक्ता मिलेट उत्पादों को देख समझ सकते हैं।
केंद्र सरकार ने 30 लक्षित देशों के लिए अलग-अलग ई-कैटलॉग तैयार किए हैं जिनमें भारतीय मिलेट और उनके प्रोडक्ट की जानकारी दी गई है। भारतीय दूतावासों, विदेशी आयातकों, भारतीय निर्यातकों, स्टार्टअप और अन्य भागीदारों के बीच उन्हें वितरित किया जाएगा। नूडल्स, पास्ता, ब्रेकफास्ट मिक्स, बिस्किट, कुकीज, स्नैक्स, मिठाई जैसे रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-सर्व कैटेगरी में भी वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए सरकार स्टार्टअप्स के साथ बातचीत कर रही है।
सरकार की मिलेट प्रमोशन रणनीति के तहत लुलु ग्रुप, केयरफोर, अल जजीरा, अल माया और वॉलमार्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय रिटेल सुपरमार्केट में भी मिलेट कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे। एपीडा ने भी अपनी वेबसाइट पर मिलेट के लिए अलग सेक्शन तैयार किया है।
सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलेट और इसके प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए पंचवर्षीय रणनीति भी तैयार कर रही है। इसमें हैदराबाद स्थित आईसीएआर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (आईआईएमआर), आईसीएमआर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रिशन, मैसूर स्थित सीएसआइआर सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और विभिन्न फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) की मदद ले रही है। सरकार ने मिलेट और इसके उत्पादों की सप्लाई चेन की दिक्कतों को दूर करने के लिए न्यूट्री सीरियल एक्सपोर्ट प्रमोशन फोरम का भी गठन किया है।
मिलेट रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले चावल और गेहूं जैसे अनाज की तुलना में अधिक पोषक होते हैं। इनमें कैल्शियम, आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनसे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और बच्चों का स्वस्थ विकास होता है। इसे देखते हुए छोटे बच्चों के खाने और न्यूट्रिशन प्रोडक्ट में मिलेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है। डीजीसीआईएस के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में भारत से मिलेट के निर्यात में 8.02% की वृद्धि हुई। कुल निर्यात 159332 टन का हुआ जबकि इससे पिछले साल 147501 टन का निर्यात हुआ था।
भारत मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, इंग्लैंड और अमेरिका को मिलेट का निर्यात करता है। यहां से निर्यात होने वाले मिलेट में मुख्य रूप से बाजरा, रागी, कैनरी, ज्वार और बकव्हीट शामिल हैं। दुनिया में मिलेट का आयात करने वाले प्रमुख देशों में इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मेक्सिको, इटली, अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राज़ील और नीदरलैंड हैं।
भारत में मुख्य रूप से 16 तरह के मिलेट का उत्पादन और निर्यात किया जाता है। यह हैं ज्वार, बाजरा, रागी, कांगनी, चीना, कोदो, सावा/सनवा/ झंगोरा, कुटकी, कुट्टू, चौलाई और ब्राउन टॉप शामिल हैं। एपीडा ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए आईआईएमआर के साथ एक एमओयू पर भी दस्तखत किया है। उसने आहार फूड फेयर में 5 से 15 रुपये तक कीमत वाले तरह-तरह के मिलेट प्रोडक्ट भी लॉन्च किए।