देश में ग्यारहवीं कृषि संगणना (2021-22) की शुरुआत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 28 जुलाई, 2022 को की। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि इस संगणना से भारत जैसे विशाल और कृषि प्रधान देश में व्यापक लाभ होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही उनका जीवन स्तर बदलने, छोटे किसानों को संगठित कर उनकी ताकत बढ़ाने, उन्हें महंगी फसलों की ओर आकर्षित करने तथा उपज की गुणवत्ता वैश्विक मानकों के अनुरूप करने पर जोर दिया जा रहा है।
कृषि संगणना के कार्यान्वयन प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए इस मौके पर दिये गये प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि इसमें भू-स्वामित्व रिकॉर्ड व गिरदावरी जैसे डिजीटल भूमि अभिलेखों का उपयोग, स्मार्टफोन/टैबलेट का उपयोग करके ऐप/सॉफ्टवेयर के जरिये आंकड़ों का संग्रह, गैर-भूमि अभिलेख वाले राज्यों में चरण-I के सभी गांवों की पूर्ण गणना जैसा भूमि रिकॉर्ड वाले राज्यों में किया गया है और प्रगति व प्रसंस्करण की वास्तविक समय पर निगरानी शामिल है।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा उठाए गए ठोस कदमों का प्रतिफल कृषि क्षेत्र को मिल रहा है। हमारा देश तेजी से डिजिटल एग्रीकल्चर की ओर बढ़ रहा है। यह समय इस संगणना में टेक्नालाजी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि संगणना को लेकर आगे और व्यापक फलक पर सोचना चाहिए। कृषि संगणना फसलों की मेपिंग में भी योगदान कर सकें ताकि देश को इसका लाभ मिले। उन्होंने ने केंद्रीय विभागों, राज्य सरकारों व संबंधित संस्थानों से इस संगणना को पूरे मनोयोग से करने को कहा।
तोमर ने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के उपयोग के लिए संगणना हेतु प्रचालनात्मक दिशा-निर्देशों से संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया, साथ ही डाटा संग्रह पोर्टल/ ऐप का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी व शोभा करंदलाजे, कृषि सचिव मनोज अहूजा, अतिरिक्त सचिव व वित्तीय सलाहकार संजीव कुमार तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
कृषि संगणना हर 5 वर्ष में की जाती है लेकिन कोरोना महामारी के कारण अब होगी। कृषि संगणना का फील्ड वर्क अगस्त 2022 में शुरू होगा। कृषि संगणना अपेक्षाकृत बारीक स्तर पर विभिन्न प्रकार के कृषि मापदंडों पर सूचना का मुख्य स्रोत है, जैसे- प्रचालनात्मक जोत की संख्या और क्षेत्र, उनके आकार वर्ग-वार वितरण, भूमि उपयोग, किराएदारी व फसलन पद्धति इत्यादि। यह पहला अवसर है जब कृषि संगणना के लिए डाटा संग्रह स्मार्ट फोन और टैबलेट पर किया जाएगा, जिससे कि समय पर डाटा उपलब्ध हो सके। अधिकांश राज्यों ने अपने भू-अभिलेखों और गिरदावरी का डिजिटलीकरण किया है, जिससे कृषि संगणना के आंकड़ों के संग्रहण में और तेजी आएगी। डिजिटलीकृत भूमि रिकॉर्ड का उपयोग और डाटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप के उपयोग से देश में प्रचालनात्मक जोत धारकों का डाटाबेस तैयार किया जा सकेगा।