किसान आंदोलन खत्म करने के लिए पिछले साल सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विचार करने के लिए समिति बनाने पर राजी हुई थी, उस पर सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच बातचीत हुई है। हालांकि अभी तक बात बनती नजर नहीं आ रही है। सरकार की तरफ से मौखिक संदेश मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने ईमेल भेजकर कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं, जिसके जवाब का अभी उसे इंतजार है।
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से 25 मार्च को कृषि एवं कल्याण मंत्रालय के तत्कालीन सचिव संजय अग्रवाल को ईमेल भेजा गया। इसके मुताबिक सचिव ने किसान नेता युद्धवीर सिंह से 22 मार्च को फोन पर संपर्क किया और संयुक्त किसान मोर्चा से सरकार की तरफ से नियुक्त की जाने वाली कमेटी के लिए दो-तीन नाम देने का आग्रह किया। मोर्चा का कहना है कि इस मौखिक संदेश से यह स्पष्ट नहीं है कि कमेटी कैसे होगी, क्या करेगी और वह कैसे काम करेगी।
मोर्चा का कहना है कि 31 मार्च को दोबारा ईमेल भेजा गया लेकिन अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है। इस बीच 1 अप्रैल को संजय अग्रवाल के रिटायर होने के बाद मनोज आहूजा नए कृषि सचिव बनाए गए हैं।
मोर्चा का कहना है कि इस मौखिक संदेश पर उसकी सात सदस्यों वाली कोऑर्डिनेशन कमिटी ने विचार किया। उसका फैसला है कि जब तक कमेटी के स्वरूप और एजेंडा के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिलती तब तक ऐसी किसी कमेटी में जाना सार्थक नहीं होगा। संयुक्त किसान मोर्चा की कोआर्डिनेशन कमेटी में डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्लाह, जगजीत सिंह डल्लेवाला, जोगिंदर सिंह उग्राहां, शिवकुमार कक्का जी, योगेंद्र यादव और युद्धवीर सिंह शामिल हैं।
मोर्चा ने कमेटी के टर्म्स ऑफ रेफरेंस बताने को कहा है। इसके अलावा उसने जो सवाल पूछे हैं उनमें यह है कि कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा और किन संगठनों, व्यक्तियों और पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा, कमेटी के अध्यक्ष कौन होंगे और इसकी कार्यप्रणाली क्या होगी, कमेटी को रिपोर्ट कितने दिनों में देनी पड़ेगी और क्या इस कमेटी की सिफारिश सरकार पर बाध्यकारी होगी।
सूत्रों के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा चाहता है कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट की समिति के पास गए, जो तीन कृषि कानूनों के पक्ष में थे और एमएसपी के लिए हमारे साथ आंदोलन नहीं कर रहे थे उनको समिति में न रखा जाए। मोर्चा का कहना है कि उसके प्रतिनिधियों के अलावा कुछ विशेषज्ञ समिति में रखे जाएं।
कुल मिलाकर, सरकार एमएसपी पर समिति बनाने के लिए तैयार तो दिखती है, लेकिन अभी तक के घटनाक्रम से यही लगता है कि मोर्चा के सवालों का स्पष्ट जवाब मिलने के बाद ही इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा। किसानों के कुछ संगठनों ने हाल ही एमएसपी मोर्चा का गठन किया है, जिसकी 22 मार्च को दिल्ली में बैठक भी हुई थी। समिति में इस मोर्चा के नेताओं को शामिल किया जाएगा या नहीं, अभी यह स्पष्ट नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि जीरो बजट खेती, बदलती जरूरतों के मुताबिक क्रॉप पैटर्न में बदलाव और एमएसपी को ज्यादा प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए समिति का गठन किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की एक मांग यह भी है कि एक समिति सिर्फ एमएसपी के लिए बने, बाकी मुद्दों के लिए अलग समिति बनाई जाए। संयुक्त किसान मोर्चा के एक वरिष्ठ सदस्य ने रूरल वॉयस को बताया कि मोर्चा चाहता है कि एमएसपी पर गठित होने वाली समिति केवल एमएसपी के मुद्दे पर ही काम करे। बाकी विषयों पर अगर जरूरत है तो सरकार अलग समिति बना सकती है। साथ ही जो संगठन आंदोलन के पक्ष में नहीं थे और तीन कानूनों के पक्ष में थे ऐसे संगठनो को इस समिति में शामिल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनका मत पहले से ही स्पष्ट है। अगर सरकार हमारी इन बातों पर गौर करती है तो समिति का गठन आसान हो जाएगा।