गन्ने के एफआरपी में 10 रुपये की बढ़ोतरी, रिकवरी 10.25% से कम होने पर होगी कटौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने आगमी पेराई सीजन (2023-24) के लिए गन्ने के फेयर एंड रिम्यूनेरेरिटव प्राइस (एफआरपी) में 10 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 315 रुपये प्रति क्विंटल  करने का फैसला लिया है। गन्ने का यह एफआरपी 10.25 फीसदी चीनी की आधार रिकवरी पर मिलेगा। वहीं 10.25 फीसदी से अधिक रिकवरी की स्थिति में किसानों को प्रति 0.1 फीसदी रिकवरी वृद्धि पर 3.07 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त दाम मिलेगा।

गन्ने का एफआरपी बढ़कर हुआ 315 रुपये प्रति क्विंटल।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने आगमी पेराई सीजन (2023-24) के लिए गन्ने के फेयर एंड रिम्यूनेरेरिटव प्राइस (एफआरपी) में 10 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 315 रुपये प्रति क्विंटल  करने का फैसला लिया है। गन्ने का यह एफआरपी 10.25 फीसदी चीनी की आधार रिकवरी पर मिलेगा। वहीं 10.25 फीसदी से अधिक रिकवरी की स्थिति में किसानों को प्रति 0.1 फीसदी रिकवरी वृद्धि पर 3.07 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त दाम मिलेगा।

गन्ने में 10.25 फीसदी से कम चीनी की रिकवरी होने की स्थिति में प्रति 0.1 फीसदी रिकवरी की कमी पर 3.07 रुपये प्रति क्विटंल की कटौती की जाएगी। हालांकि 9.5 फीसदी से कम रिकवरी की स्थिति में एफआरपी में और अधिक कटौती नहीं होगी और इस स्तर की रिकवरी का गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों को 291.97 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर एफआरपी मिलेगा। साल 2022-23 के लिए गन्ने का एफआरपी 10.25 फीसदी रिकवरी के लिए 305 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।

केंद्र सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि देश में 2023-24 में गन्ने की उत्पादन लागत 157 रुपये प्रति क्विंटल है और उस स्थिति में गन्ने का एफआरपी 315 रुपये प्रति क्विटंल तय किया गया है। यह एफआरपी लागत से 100.6 फीसदी अधिक है। वहीं यह 2022-23 के मुकाबले 3.28 फीसदी अधिक है। तय किया गया एफआरपी आगामी 1 अक्तूबर, 2023 से शुरू होने वाले चीनी सीजन (2023-24) के लिए मिलों को गन्ने की आपूर्ति करने वाले किसानों को मिलेगा। इसमें कहा गया है कि एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर तय किया गया है।

एफआरपी निर्धारण के इस फैसले के साथ एक खास बात यह है कि देश में गन्ने में चीनी की रिकवरी का औसत गिर रहा है। चीनी उद्योग के मुताबिक, चालू पेराई सीजन (2022-23) में देश में गन्ने में चीनी की रिकवरी का औसत 9.86 फीसदी रहा है। यह इससे पहले के सीजन में 10.05 फीसदी था। सरकार द्वारा एफआरपी के लिए तय चीनी की रिकवरी का 10.25 फीसदी का आधार स्तर चालू सीजन में केवल गुजरात ने पार किया है। वहां पर इस साल चीनी की रिकवरी 10.80 फीसदी रही है। वहीं उत्तर प्रदेश में चालू सीजन में रिकवरी का स्तर 9.6 फीसदी, महाराष्ट्र में 10 फीसदी, कर्नाटक में 10.10 फीसदी और तेलंगाना में 10.10 फीसदी रहा है।

बाकी राज्यों में चीनी की रिकवरी औसत 10 फीसदी से कम ही रही है। उद्योग के इस आंकड़े के आधार पर एफआरपी के आधार पर जिन राज्यों में किसानों को गन्ने का दाम मिलता है उनमे से अधिकांश में उन्हें 315 रुपये प्रति क्विंटल से कम ही दाम मिलेगा। हालांकि, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में गन्ना किसानों को राज्य सरकारों द्वारा तय राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) के आधार पर दाम मिलता है जो एफआरपी के तय किए गए स्तर से अधिक है। हालांकि, उत्तर प्रदेश जो सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है वहां पिछले छह साल में गन्ने के एसएपी में केवल दो बार बढ़ोतरी की गई है और यह बढ़ोतरी सिर्फ 35 रुपये प्रति क्विंटल की रही है। बाकी चार साल में एसएपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। उत्तर प्रदेश में गन्ने का एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि हरियाणा में गन्ने का एसएपी 372 रुपये प्रति क्विंटल और पंजाब में 380 रुपये प्रति क्विंटल है।