सरकार का लक्ष्य भारत को पांच शीर्ष कृषि निर्यातक देशों में शामिल करनाः कृषि मंत्री

तोमर ने किसानों के लाभ और रोजगार सृजन के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने ड्रोन नीति की घोषणा की है। यह कृषि के लिए बहुत उपयोगी है। इससे किसानों को काफी बचत होगी

भारत कृषि उत्पाद निर्यात करने वाले शीर्ष 10 देशों में शुमार हो गया है। सरकार का लक्ष्य भारत को शीर्ष 5 देशों में शामिल करना है। कृषि संस्थानों के प्रयासों और शोध से भारत इस लक्ष्य को बहुत जल्द हासिल कर लेगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के 60वें दीक्षांत समारोह में यह बात कही।

केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए तोमर ने किसानों के लाभ और रोजगार सृजन के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने ड्रोन नीति की घोषणा की है। यह कृषि के लिए बहुत उपयोगी है। इससे किसानों को काफी बचत होगी। सरकार ने ड्रोन पर प्रशिक्षण के लिए 100 फीसदा अनुदान देने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि कृषि के छात्र इसमें बेहतर भूमिका निभा सकते हैं। कृषि छात्रों के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है। तोमर ने कहा कि संस्थान से कृषि में डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्रों को न केवल नौकरी या प्रशिक्षण मिलना चाहिए, बल्कि उन्हें खुद भी खेती करनी चाहिए ताकि वे देश के निर्माण में योगदान दे सकें। उन्होंने छात्रों को उद्यमिता विकास के लिए भी प्रोत्साहित किया और उनसे खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाने की अपील की।

इस अवसर पर तोमर ने आम की दो किस्में पूसा लालिमा और पूसा श्रेष्ठ, बैंगन की पूसा वैभव किस्म, पालक की पूसा विलायती किस्म, ककड़ी किस्म, पूसा गाइनोचियस ककड़ी संकर सहित 6 किस्म के फल और सब्जियां राष्ट्र को समर्पित कीं। सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा विकसित जैव उर्वरक 'पूसा संपूर्ण' का भी विमोचन किया गया। 

उन्होंने कहा कि संस्थान बहुत प्रतिभाशाली शिक्षक और वैज्ञानिक पैदा कर रहे हैं जो एक सराहनीय कार्य है। लेकिन ज्ञान और प्रौद्योगिकी केवल संस्थानों तक ही सीमित है। यदि संस्थान किसानों को तैयार करें तो वे जमीनी स्तर पर इस ज्ञान को प्रदान कर सकते हैं।

संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की किस्में देश के अन्न भंडार में सालाना 80,000 करोड़ रुपए के लगभग छह करोड़ टन गेहूं का योगदान करती हैं। संस्थान द्वारा विकसित बासमती की किस्मों का भी योगदान अहम है। बासमती चावल के निर्यात से अर्जित होने वाली कुल विदेशी मुद्रा 32,804 करोड़ रुपए का 90 प्रतिशत संस्थान द्वारा विकसित किस्मों से है। देश के लगभग 48 प्रतिशत भू-भाग में सरसों की खेती आईएआरआई किस्मों से की जाती है। पूसा सरसों 25 से उत्पन्न कुल आर्थिक अधिशेष पिछले 9 वर्षों के दौरान 14323 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

कार्यक्रम के दौरान कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी विशिष्ट अतिथि थे। आईसीएआर महानिदेशक और डीएआरई सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्रा और डीन तथा संयुक्त निदेशक शिक्षा डॉ. रश्मि अग्रवाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर पोस्ट ग्रेजुएट स्कूल के 284 छात्रों को पुरस्कार और डिग्री प्रदान की गई। इनमें 8 विदेशी छात्र शामिल हैं।