सरकार ने गेहूं की स्टॉक सीमा घटाई, कीमतों पर अंकुश लगाने का प्रयास

संशोधित स्टॉक लिमिट के अनुसार, व्यापारी और थोक विक्रेता अब अधिकतम 250 टन गेहूं ही अपने पास रख सकेंगे, यह सीमा पहले 1,000 टन था। इसी तरह, खुदरा विक्रेता और रिटेल आउटलेट प्रत्येक दुकान में 4 टन तक गेहूं स्टॉक कर सकते हैं, जो पहले 5 टन था। प्रोसेसर्स के लिए गेहूं स्टॉक की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

देश में गेहूं की कीमतों को स्थिर करने के प्रयास में, केंद्र सरकार ने गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा को और सख्त कर दिया है। सरकारी भंडार से ओपन मार्केट सेल स्कीम के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं उतारने और पहले से लागू स्टॉक लिमिट के बावजूद गेहूं की कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं।

संशोधित स्टॉक लिमिट के अनुसार, व्यापारी और थोक विक्रेता अब अधिकतम 250 टन गेहूं ही अपने पास रख सकेंगे, यह सीमा पहले 1,000 टन थी। इसी तरह, खुदरा विक्रेता और रिटेल आउटलेट प्रत्येक दुकान में 4 टन तक गेहूं स्टॉक कर सकते हैं, जो पहले 5 टन था। प्रोसेसर्स के लिए गेहूं स्टॉक की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

खाद्य मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और जमाखोरी व अनुचित सट्टेबाजी को रोकने के लिए भारत सरकार ने गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू की है, खाद्य मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया।

सरकारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, सभी गेहूं स्टॉक रखने वाले ट्रेडर्स को गेहूं स्टॉक लिमिट पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण कराना होगा और हर शुक्रवार को अपने स्टॉक की स्थिति अपडेट करनी होगी। इन सीमाओं के उल्लंघन पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिन इकाइयों के पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक है, उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर इसे अनुमेय सीमा के भीतर लाना होगा।

सरकार ने कहा है कि इन उपायों का उद्देश्य देश के उपभोक्ताओं के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना है। गौरतलब है कि 2024 रबी सीजन के दौरान देश में 1,132 लाख टन (LMT) गेहूं उत्पादन दर्ज किया गया है, और खाद्य मंत्रालय का कहना है कि देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है। रिकॉर्ड उत्पादन के दावों के बावजूद गेहूं की कीमतों का अधिक रहना और स्टॉक लिमिट लगाया जाना सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़ा करता है।