केंद्र सरकार ने माना है कि देश में पशु चारे की कमी चल रही है। इससे आने वाले दिनों में देश के डेयरी सेक्टर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के आसार हैं। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने बुधवार को संसद में पशु चारे की कमी के आंकड़े पेश किए। उन्होंने बताया कि आईसीएआर-भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (आईजीएफआरआई) झांसी के अनुसार, देश में हरे चारे की 11.24-32 प्रतिशत और सूखे चारे की 23 प्रतिशत कमी है।
चारे की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग राज्य सरकारों के साथ मिलकर चारे की उपलब्धता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। 2014-15 से राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत चारा और चारा विकास पर उप मिशन के माध्यम से राज्य सरकारों को सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त, कृषि विभाग राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के माध्यम से 100 एफपीओ, मुख्य रूप से चारा-केंद्रित एफपीओ बनाने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए '10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन' योजना लागू कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य चारे की उपलब्धता में सुधार करना और डेयरी उद्योग को समर्थन प्रदान करना है।
रंजन सिंह ने बताया कि आईजीएफआरआई झांसी-आईसीएआर ने भी 25 राज्यों के लिए चारा संसाधन विकास योजना तैयार की है, ताकि विभिन्न राज्यों में फसल पैटर्न और पशुधन प्रजातियों के आधार पर चारे की उपलब्धता को बढ़ाया जा सके।
बढ़ती मांग और उत्पादन में गिरावट
देश में पशु चारे की बढ़ती मांग और उत्पादन में गिरावट, इसकी कमी की मुख्य वजह है। अगर स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले दिनों में चारे की कीमतों में और इजाफा होगा। जिससे दूध की उत्पादन लागत बढ़ेगी, जो डेयरी उत्पादों की कीमतों पर असर डालेगा। यह स्थिति न केवल डेयरी सेक्टर को प्रभावित करेगी, बल्कि उपभोक्ताओं पर भी इसका असर पड़ेगा।
6 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रहा दूध उत्पादन
केंद्रीय मंत्री ने संसद दूध उत्पादन के आंकड़े भी पेश किए। उन्होंने बताया कि देश में दूध का उत्पादन 2018-19 में 187.7 मिलियन टन था, जो 2022-23 में बढ़कर 230.6 मिलियन टन हो गया। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश देश के कुल दूध उत्पादन में 53.08 प्रतिशत का योगदान करते हैं। सिंह ने यह भी बताया कि भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले 9 वर्षों में दूध उत्पादन लगभग 6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जिससे प्रति व्यक्ति उपलब्धता 459 ग्राम प्रति दिन हो गई है और देश घरेलू मांग को पूरा करने में आत्मनिर्भर है।