वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी का रुख शुरू हो गया है। पिछले करीब एक महीने में यूरिया और डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतों में 150 डॉलर प्रति टन तक की वृद्धि हो चुकी है। कीमतों में तेजी की वजह ब्राजील द्वारा की गई बड़ी खरीदारी है, वहीं चीन द्वारा डीएपी के निर्यात पर सितंबर के अंत तक रोक लगाना इसकी दूसरी बड़ी वजह है।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक 20 जुलाई के आसपास डीएपी की कीमत 430 डॉलर प्रति टन तक गिर गई थी। यह कीमत भारत में पोर्ट तक पहुंचने की लागत सहित थी। इस अवधि के दौरान एक भारतीय कंपनी द्वारा इस कीमत पर 45 हजार टन डीएपी का सौदा किया था। मगर अब कीमत 555 से 560 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है।
वहीं यूरिया की कीमत में भी इसी तरह की तेजी वैश्विक बाजार में देखी गई है। यूरिया की सबसे कम कीमत 240 से 250 डॉलर प्रति टन तक आ गई थी। मगर अब यह कीमत बढ़कर 396 से 399 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है। कुछ दिनों के लिए यूरिया की कीमत 425 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी लेकिन इस समय यह 400 डॉलर प्रति टन से कम है। वहीं उर्वरक उत्पादन के लिए जरूरी अमोनिया गैस की कीमत भी 260 से 270 डॉलर प्रति टन के स्तर से बढकर 390 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है।
उक्त सूत्र के मुताबिक कीमतों में यह तेजी उर्वरक उद्योग के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है क्योंकि सरकार द्वारा पिछले दिनों अधिकांश विनियंत्रित उर्वरकों पर सब्सिडी में कटौती की गई थी। वैश्विक बाजार में कीमत बढ़ोतरी की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि ब्राजील से उर्वरकों की भारी मांग निकली है। वहीं चीन की सरकार ने डीएपी के निर्यात पर सितंबर के अंत तक रोक लगा दी है। इन दोनों कारकों के चलते कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। भारत चीन से हर साल 15 से 20 लाख टन डीएपी का आयात करता है जबकि करीब 10 लाख टन यूरिया का भी आयात चीन से होता है।
घरेलू स्तर पर उर्वरकों की उपलब्धता के बारे में उन्होंने बताया कि देश में उर्वरकों की उपलब्धता बेहतर है। इस समय डीएपी का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले 17 लाख टन अधिक है। हालांकि, आगामी रबी सीजन के लिए भारत को महंगा आयात करना पड़ सकता है।
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दिसंबर 2021 के बाद से वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमतों में भारी इजाफा हुआ था। उसके बाद फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने से उर्वरकों की वैश्विक आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई थी। उसी दौरान दुनिया के बड़े उर्वरक निर्यातकों में शुमार चीन ने डीएपी के निर्यात पर रोक लगा दी थी। उसके चलते डीएपी की कीमतें 1000 डॉलर प्रति टन को पार कर गई थी। वहीं यूरिया की कीमतें भी 900 डॉलर प्रति टन को पार कर गई थी। इस कीमत बढ़ोतरी के चलते सरकार को 2022-23 में रिकॉर्ड उर्वरक सब्सिडी देनी पड़ी थी।
डीएपी पर सब्सिडी का स्तर 50 हजार रुपये प्रति टन तक चला गया था। मगर इस साल मार्च से उर्वरकों की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई थी जो सरकार के लिए सब्सिडी की बचत का कारण रही। एक बार फिर जिस तरह से वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमतें बढ़ रही हैं उसके चलते सरकार का सब्सिडी बोझ बढ़ सकता है। भारत हर साल करीब 70 लाख टन यूरिया का आयात करता है। डीएपी की सालाना करीब 110 लाख टन की खपत होती है जिसमें से 70 लाख टन का आयात होता है और करीब 40 लाख टन डीएपी का आयात देश में होता है लेकिन इसके लिए डीएपी के मुख्य कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट का आयात करना पड़ता है।