केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास के वित्त पोषण के लिए नाबार्ड से अगले 25 वर्षों का लक्ष्य तय करने को कहा है। तब भारत आजादी के 100 साल पूरे करेगा। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के 42वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संगठन के सभी कर्मचारियों को लक्ष्य तय करने में शामिल होना चाहिए।
अमित शाह ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में बुधवार को आयोजित नाबार्ड के 42वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि नाबार्ड को अपने पिछले प्रदर्शन और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपने लक्ष्य तय करने चाहिए। इस लक्ष्य की हर 5 साल में समीक्षा हो और हर 5 साल के लक्ष्य की समीक्षा हर वर्ष हो। उन्होंने कहा कि नाबार्ड एक बैंक नहीं बल्कि देश की ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने का एक मिशन है। नाबार्ड के लक्ष्य फाइनेंशियल पैरामीटर्स पर तो तय हों ही, लेकिन इनके साथ ही मानवीय और ग्रामीण विकास के लक्ष्य भी तय करने होंगे।
उन्होंने कहा कि लगभग 65 फीसदी ग्रामीण जनसंख्या वाले भारत की कल्पना नाबार्ड के बिना नहीं की जा सकती है। पिछले चार दशकों में नाबार्ड ने देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, कोऑपरेटिव संस्थाओं और डेढ़ दशक से देश के स्वयं सहायता समूहों की रीढ़ के रूप में काम किया है। उन्होंने कहा कि गांव के हर व्यक्ति, विशेषकर माताओं और बहनों, को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित स्वयं सहायता समूहों को अपने पैरों पर खड़ा करने और स्वाभिमान के साथ समाज में स्थापित करने में नाबार्ड की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने कई क्षेत्रों में नए काम शुरू किए हैं, खासकर, रिफाइनेंस और कैपिटल फॉर्मेशन के काम को नाबार्ड ने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया है। कैपिटल फॉर्मेशन के लिए अब तक लगभग 8 लाख करोड़ रुपये नाबार्ड के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गई है। जबकि कृषि और किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने और कृषि उत्पादन को बढ़ाने और इसमें विविधता लाने की कई योजनाओं के तहत नाबार्ड ने 12 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में रिफाइनेंस किया है। पिछले 42 सालों में नाबार्ड ने 14 फीसदी की वृद्धि दर के साथ 20 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रिफाइनेंस किया है।
अमित शाह ने कहा कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि, कोऑपरेटिव व्यवस्था के फाइनेंस के विकास और स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर को विस्तृत करने का लक्ष्य नाबार्ड के सिवा कोई तय नहीं कर सकता। देश में 1.3 करोड़ टन क्षमता के वेयरहाउस नाबार्ड के फाइनेंस से खड़े हुए हैं। देश के लगभग 1 करोड़ स्वयं सहायता समूहों को नाबार्ड ने फाइनेंस किया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा माइक्रो-फाइनेंसिंग कार्यक्रम है।
इस अवसर पर उन्होंने दुग्ध समितियों को माइक्रो-एटीएम कार्ड और इन समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड (RuPay Kisan Credit Card) भी वितरित किए। जिला सहकारी बैंकों की ओर से यह कार्ड देने की शुरूआत हुई है। उन्होंने बताया कि सभी सहकारी समितियों के सदस्यों के बैंक खातों को जिला सहकारी बैंक में ट्रांस्फर कर दिया गया है और सभी दुग्ध उत्पादक समितियों को बैंक मित्र बनाने का काम भी कर दिया गया है।