प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी और दूसरे मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन को समाप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर जो समिति गठित करने की बात कही थी, उसकी पहली बैठक 22 अगस्त को दिल्ली में होगी। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में पिछले दिनों समिति के गठन के बाद अब बैठक का नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
समिति की सदस्य सचिव शुभा ठाकुर द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक 22 अगस्त की सुबह 10.30 बजे यह बैठक नेशनल एग्रीकल्चर साइंस कॉम्पलेक्स (एनएएससी) में होगी। हालांकि जिस संयुक्त किसान मोर्चा के साथ सहमति के लिए समिति गठित करने का वादा किया गया था, वह इस समिति का हिस्सा नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा के लिए समिति में तीन सदस्यों को शामिल किया गा है लेकिन मोर्चा द्वारा समिति में शामिल नहीं होने के फैसले के चलते यह तीनों पद अभी खाली हैं। पहली बैठक के एजेंडा के मुताबिक समिति भावी रणनीति बनाने पर चर्चा करेगी।
सरकार द्वारा 18 जुलाई को समिति गठित करने संबंधी जारी गजट में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की 12 जुलाई 2022 की अधिसूचना को प्रकाशित किया गया था। इस समिति के सदस्यों में नीति आयोग के सदस्य (कृषि) प्रोफेसर रमेश चंद, इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रोफेसर सीएससी शेखर, आईआईएम अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल हैं।
किसान प्रतिनिधि के तौर पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किसान भारत भूषण त्यागी को भी समिति में रखा गया है। अन्य किसान संगठनों के सदस्यों में गुणवंत पाटिल, कृष्णबीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैयद पाशा पटेल को इसमें रखा गया है। इनके अलावा सहकारी संगठन इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी और सीएनआरआई के महासचिव विनोद आनंद भी समिति का हिस्सा होंगे। कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के पांच सचिव स्तर के अधिकारी और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम तथा उड़ीसा के मुख्य सचिव को भी समिति में शामिल किया गया है।
अधिसूचना के मुताबिक यह समिति मौजूदा एमएसपी व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उपायों पर विचार करेगी। यह सीएसीपी को अधिक स्वायत्तता देने पर भी अपने सुझाव देगी। समिति कृषि मार्केटिंग व्यवस्था को मजबूत करने के उपायों पर गौर करेगी। इसका मकसद घरेलू और निर्यात बाजार में अधिक अवसर उपलब्ध कराकर किसानों को उनकी उपज की अधिक कीमत दिलाना है।
समिति प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण और लघु सिंचाई योजना को बढ़ावा देने पर भी अपने सुझाव देगी। समिति यह भी बताएगी कि कृषि विज्ञान केंद्रों और अन्य अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को नॉलेज सेंटर के तौर पर कैसे विकसित किया जा सकता है।
सरकार के इस कदम पर संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि मोर्चा ने जिस कमेटी के गठन की मांग की थी यह समिति उससे मेल नहीं खाती है। हमारी मांग है कि सरकार पहले एमएसपी की कानूनी गारंटी दे और उसे लागू करने के लिए जरूरी कदम सुझाने के लिए कमेटी का गठन करे। लेकिन सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की कोई बात नहीं की है और वह मौजूदा एमएसपी व्यवस्था को प्रभावी बनाने की बात कर रही है। साथ ही प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को प्रभावी बनाने जैसे मुद्दे इसमें जोड़कर इसे एक बड़ा एजेंडा दे दिया गया है।
वहीं सरकार द्वारा गठित समिति के कुछ सदस्यों को लेकर किसान संगठनों ने तीखी आलोचना की थी। इनमें एक सदस्य ने जबरन किसान आंदोलन समाप्त करने की बात एक तथाकथित वायरल वीडियो में की थी। वहीं एक सदस्य के एक निजी पेस्टीसाइड कंपनी में सलाहकार होने की बात इन संगठनों के पदाधिकारियों ने की है।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों के समिति में शामिल नहीं होने के मुद्दे पर रूरल वॉयस ने समिति के एक वरिष्ठ सदस्य से जब बात की तो उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा अगर समिति में शामिल होता है तो बेहतर होगा। उन्हें अपनी राय समिति की बैठक में रखनी चाहिए। कोई भी मसला बातचीत से ही हल हो सकता है।
वहीं इसे संयोग ही माना जा सकता है कि समिति की पहली बैठक के ठीक पहले संयुक्त किसान मोर्चा 18, 19 और 20 अगस्त को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 75 घंटे का धरना करने जा रहा है। संयुक्त मोर्चा की कोर कमेटी के एक सदस्य ने रूरल वॉयस को बताया कि यह धरना प्रदर्शन सरकार द्वारा आंदोलन के समय किये वादों को पूरा नहीं करने के विरोध में किया जा रहा है। इस आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी घटक हिस्सा लेंगे।