अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी के चलते सरकार ने डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी को बढ़ाकर 2501 रुपए प्रति बैग कर दिया है जो पुरानी सब्सिडी से 50 फीसदी अधिक है। न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के कच्चे माल की नई सब्सिडी दरें अधिसूचित कर दी गई है। इसके चलते किसानों को डीएपी और एनपीके उर्वरक मौजूदा दाम पर ही मिलते रहेंगे। इसके साथ ही इनके आयात के लिए मिस्र और सऊदी अरब के साथ समझौते किये जा रहे हैं ताकि चालू खरीफ सीजन में इन उर्वरकों की उपलब्धता को बरकरार रखा जा सके।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ सीजन-2022 (01 अप्रैल 2022 से 30 सितम्बर 2022 तक) के लिए फॉस्फेट और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों से संबंधित उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस संबंध में उर्वरक विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।
सरकार के फैसले के मुताबिक डाई -अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और इसके कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि को मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा वहन किया गया है। केंद्र सरकार ने डीएपी पर 1650 रुपये प्रति बैग की मौजूदा सब्सिडी के स्थान पर 2501 रुपए प्रति बैग की सब्सिडी देने का फैसला किया है जो पिछले साल की सब्सिडी दरों की तुलना में 50 फीसदी अधिक है। सरकार का कहना है कि डीएपी और उसके कच्चे माल की कीमतों में लगभग 80 फीसदी की वृद्धि हुई है।
एनबीएस की नई दरों के बाद डीएपी पर सब्सिडी का स्तर 50013 रुपये प्रति टन हो गया है। वहीं मार्च में कंपनियोंं ने डीएपी की कीमत में 150 रुपये प्रति बैग की बढ़ोतरी कर इसे 1350 रुपये प्रति बैग (50 किलो) कर दिया था। फॉसफोरस, पोटाश और नाइट्रोजन के कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के तीन वेरिएंट की कीमत 1450 से 1470 रुपये प्रति बैग है।
उर्वरक विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक एनबीएस की नई दरों के तहत नाइट्रोजन (एन) पर 91.96 रुपये प्रति किलो, फॉस्फोरस (पी) पर 72.74 रुपये प्रति किलो, पोटाश (के) पर 25.31 रुपये प्रति किलो और सल्फर (एस) पर 6.94 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी दी जाएगी। यह दरें खरीफ सीजन 2022 में 1 अप्रैल, 2022 से 30 सितंबर, 2022 तक के लिए लागू होंगी। इन दरों के चलते म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) पर सब्सिडी 15186 रुपये प्रति टन और सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) पर सब्सिडी 7513 रुपये प्रति टन हो गई है। कॉम्प्लेक्स उर्वरकों, एनपी, एनपीके, एनपीएस और एसएस के विभिन्न वेरिएंट के लिए सब्सिडी की दरें 20448 रुपये प्रति टन से लेकर 46116 रुपये प्रति टन के बीच हो गई हैं।
सरकार के इस फैसले पर रूरल वॉयस के साथ बातचीत में उर्वरक उद्योग के सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा बढ़ाई गई सब्सिडी इस समय डीएपी की लागत की पूरी भरपाई नहीं करती है। अगर सरकार सब्सिडी को 53 हजार रुपये प्रति टन करती तो यह लागत के स्तर को पूरा करती। इससे कम सब्सिडी में उर्वरक कंपनियों को घाटा उठाना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमत करीब एक हजार डॉलर प्रति टन के आसपास चल रही है। इसके आयात पर आने वाले खर्च और करों का भुगतान अलग है।
वहीं सूत्रों का कहना है कि सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के आयात के लिए मिस्र और सऊदी अरब के साथ बातचीत बढ़ाई है और वहां से सरकारी कंपनियों द्वारा आयात किये जाने की संभावना है। उस स्थिति में खरीफ सीजन में डीएपी और कॉम्पलेक्स उर्वरकों की उपलब्धता को बेहतर किया जा सकेगा। मिस्र ने गेहूं के आयात के बदले उर्वरक निर्यात की पेशकश की है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते दुनिया भर में उर्वरकों की उपलब्धता पर असर पड़ा है और कीमतों मेंं भारी बढ़ोतरी हुई है। रूस और बेलारूस इन उर्वरकों के दुनिया के बड़े निर्यातक हैं।
सरकार द्वारा जारी सूचना के मुताबिक मंत्रिमंडल के फैसले के चलते पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के तहत खरीफ-2022 के लिए मंजूर की गई सब्सिडी 60,939.23 करोड़ रुपये होगी।
सरकार उर्वरक उत्पादकों और आयातकों के माध्यम से किसानों को रियायती कीमतों पर यूरिया और 25 ग्रेड पीएंडके उर्वरक उपलब्ध करा रही है। एनबीएस योजना द्वारा पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी 01 अप्रैल 2010 से नियंत्रित की जा रही है। उर्वरकों और अन्य घटक यानी यूरिया, डीएपी, एमओपी और सल्फर की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी वृद्धि को देखते हुए, सरकार ने डीएपी सहित पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाकर बढ़ी हुई कीमतों को वहन करने का निर्णय लिया है।
यूरिया को छोड़कर बाकी उर्वरक विनियंत्रित उर्वरकों की श्रेणी में आते हैं। यूरिया की कीमत सरकार तय करती है जबकि विनियंत्रित उर्वरकों की कीमतें कंपनियां खुद तय करती हैं जो सरकार द्वारा एनबीएस के तहत दी जाने वाली सब्सिडी और उत्पादन व आयात लागत पर निर्भर करती है। पिछले करीब डेढ़ साल से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिसके चलते सरकार ने मई, 2021, अक्तूबर, 2021 और अब 27अप्रैल, 2022 को विनियंत्रित उर्वरकों की सब्सिडी में बढ़ोतरी की है ताकि किसानों के लिए कीमतों को कम स्तर पर रखा जा सके।