वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी बजट में किए गए प्रावधानों से 1.1 लाख करोड़ रुपए बढ़ सकती है। हाल के महीनों में उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी हुई कीमतों को देखते हुए उन्होंने यह बात कही। बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपए की उर्वरक सब्सिडी का प्रावधान किया गया था। इस तरह मौजूदा वित्त वर्ष में इसके 2.15 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी 1,62,132 करोड़ रुपए थी। रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडवीय ने हाल ही कहा था कि इस वर्ष कुल उर्वरक सब्सिडी दो से ढाई लाख करोड़ रुपए तक जा सकती है।
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी के चलते 27 अप्रैल को डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी को बढ़ाकर 2501 रुपए प्रति बैग कर दिया था, जो पुरानी सब्सिडी से 50 फीसदी अधिक थी। न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के कच्चे माल की नई सब्सिडी दरें अधिसूचित करते हुए सरकार ने यह घोषणा की थी। इससे किसानों को डीएपी और एनपीके उर्वरक पुराने दाम पर ही मिल रहे हैं। डीएपी पर 1650 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी थी, जिसे बढ़ाकर 2501 रुपए प्रति बैग किया गया। तब सरकार ने कहा था कि डीएपी और उसके कच्चे माल की कीमतों में लगभग 80 फीसदी की वृद्धि हुई है। एनबीएस की नई दरों के बाद डीएपी पर सब्सिडी का स्तर 50013 रुपये प्रति टन हो गया।
उससे पहले मार्च में कंपनियों ने डीएपी की कीमत में 150 रुपये प्रति बैग की बढ़ोतरी कर इसे 1350 रुपये प्रति बैग (50 किलो) कर दिया था। फॉसफोरस, पोटाश और नाइट्रोजन के कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के तीन वेरिएंट की कीमत 1450 से 1470 रुपये प्रति बैग है।
भारत मुख्य रूप से यूरिया के अलावा पोटाश और फॉस्फेटिक उर्वरकों का आयात करता है। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण उर्वरकों और उनके कच्चे माल की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। रूस और बेलारूस ही उर्वरकों के सबसे बड़े सप्लायर हैं। युद्ध के कारण वहां से सप्लाई भी बाधित हुई है।