घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार केंद्रीय पूल से पहले चरण में 4 लाख टन गेहूं और 5 लाख टन चावल की खुले बाजार में बिक्री करेगी। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत यह बिक्री थोक खरीदारों और बड़े व्यापारियों को ई-नीलामी के जरिये की जाएगी। इसके अलावा, सरकार गेहूं का आयात करने पर भी विचार कर रही है और इसके लिए आयात ड्यूटी में कटौती का प्रस्ताव है।
केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पहले चरण में 28 जून को 4 लाख टन गेहूं की ई-नीलामी करेगी। जबकि 5 जुलाई को 5 लाख टन चावल की नीलामी होगी। एफसीआई के चेयरमैन अशोक के मीणा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि गेहूं और चावल की खुदरा कीमतों में वृद्धि का रुख है। सरकार ने निगम को ओएमएसएस के तहत इन दोनों अनाजों की बिक्री करने का निर्देश दिया है ताकि घरेलू कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। ओएमएसएस के तहत खरीदार अधिकतम 100 टन और न्यूनतम 10 टन की बोली लगा सकेंगे।
इससे पहले गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने 12 जून को गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने की घोषणा की थी। साथ ही ओएमएसएस के तहत 15 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री करने का फैसला किया था। ई-नीलामी के लिए सामान्य किस्म के गेहूं का रिजर्व प्राइस 2,150 रुपये प्रति क्विंटल और कम गुणवत्ता वाले गेहूं का रिजर्व प्राइस 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। जबकि चावल का रिजर्व प्राइस 3100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
अशोक मीणा ने बताया कि नीलामी स्थानीय खरीदारों के लिए सीमित होगी। बोली लगाने वाले खरीदारों को स्टॉक जारी करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका जीएसटी रजिस्ट्रेशन उसी राज्य का है जहां उसने बोली लगाई है। गेहूं की जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ने बोली लगाने वाले खरीदारों के लिए गेहूं स्टॉक निगरानी पोर्टल पर स्टॉक की जानकारी देना भी अनिवार्य किया है। इसका मतलब यह हुआ कि जो बोलीदाता स्टॉक की जानकारी नहीं देंगे वह ई-नीलामी में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
मीणा ने बताया कि सरकार के पास 87 लाख टन गेहूं और 292 लाख टन चावल अतिरिक्त है। किसी भी गंभीर स्थिति में ओएमएसएस के तहत इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं दूसरी कल्याणकारी योजनाओं और बफर स्टॉक के लिए सुरक्षित भंडारों के बाद ये अतिरिक्त अनाज हैं। एफसीआई चेयरमैन ने उम्मीद जताई कि सरकार के फैसलों से जल्द ही खुदरा कीमतों में कमी आने लगेगी। इसके लिए गेहूं पर ड्यूटी में कटौती किए जाने सहित सभी विकल्पों को आजमाया जाएगा।
फिलहाल गेहूं पर 40 फीसदी आयात शुल्क लगता है। पिछले साल सरकार ने गेहूं के बढ़ते घरेलू दाम को देखते हुए मई में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि इस साल जनवरी से मार्च तक 34 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री ओएमएसएस के तहत की गई थी।