केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा थोक खरीदारों को गेहूं की बिक्री से घरेलू बाजार में गेंहू और आटा के भाव घटे हैं। गेहूं और आटे की घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से लगातार पहल की जा रही है। इसी के तहत सरकार केंद्रीय पूल से ओएमएसएस के तहत 50 लाख टन गेहूं बेच रही है। इसमें 45 लाख टन गेहूं की बिक्री आटा मिलों, गेहूं उत्पाद निर्माताओं और बड़े व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को एफसीआई के जरिये की जा रही है। एफसीआई की बुधवार को हुई चौथी ई-नीलामी में 11.57 लाख टन गेहूं की बिक्री की पेशकश की गई थी। इसकी तुलना में 5.4 लाख टन गेहूं के लिए बोली लगी।
इससे पहले तीन नीलामी में एफसीआई 18.07 लाख टन गेहूं की बिक्री कर चुका है। चौथी नीलामी के बाद गेहूं की कुल बिक्री 23.47 लाख टन हो चुकी है। एफसीआई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि बोली लगाने वाले खरीदारों की ओर से 28 फरवरी तक 14.35 लाख मीट्रिक टन गेहूं उठा लिया गया है। इस बिक्री ने पूरे देश में गेहूं और आटे की कीमत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चौथी ई-नीलामी में गेहूं का औसत बिक्री मूल्य 2,137.04 रुपये प्रति क्विंटल रहा है। जबकि उपयुक्त एवं औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) वाले गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,150 रुपये और कम गुणवत्ता वाले (यूआरएस) का 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। चौथी नीलामी में 23 राज्यों में 1049 बोली लगाने वालों को 5.40 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा गया।
एफसीआई के बयान में कहा गया है कि पहली ई-नीलामी 1 और 2 फरवरी को हुई थी जिसमें 9.13 लाख मीट्रिक टन गेहूं 1,016 बोलीदाताओं को 2,474 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया था। 15 फरवरी को हुई दूसरी नीलामी में 3.85 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री 1,060 बोलीदाताओं को औसत मूल्य 2,338 रुपये प्रति क्विंटल पर की गई। तीसरी ई-नीलामी में 5.07 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री 875 सफल बोलीदाताओं को की गई जिसका औसत मूल्य 2,173 रुपये प्रति क्विंटल था। एफसीआई ने कहा है कि नीलामी के दौरान प्राप्त हुई कुल कीमत बताती है कि बाजार मंदा हो गया है और यह औसतन 2,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे है।
उधर, राज्यों के खाद्य मंत्रियों और खाद्य सचिवों के एक सम्मेलन में केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि एफसीआई की नीलामी में बोली लगाने वालों की ओर से पहले ही पर्याप्त मात्रा में गेहूं उठा लिया गया है। इससे बाजार में कीमतें कम हो गई हैं। ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री का मकसद घरेलू उपलब्धता में सुधार करना और कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है। मोटा अनाज के बारे में उन्होंने बताया कि इनकी सरकारी खरीद और वितरण के दिशा-निर्देशों को संशोधित किया गया है। राज्यों को मोटा अनाज खरीद कर वितरित करने को कहा गया है। नए दिशा-निर्देश में यह अनुमति दी गई है कि यदि राज्यों के पास अधिशेष है तो वे दूसरे राज्यों को दे सकते हैं। चोपड़ा ने कहा कि कर्नाटक सरकार को केरल में अधिशेष मोटा अनाज वितरित करने की अनुमति दी गई है। हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हम बड़े पैमाने पर मोटा अनाज की खरीद और वितरण करने में सक्षम होंगे। इस सम्मेलन में आंध्र प्रदेश, दिल्ली और पश्चिम बंगाल सहित 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य मंत्रियों और खाद्य सचिवों ने हिस्सा लिया।