पिछले हफ्ते हुई तेज बारिश के कारण हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित कई राज्यों में लगभग कटाई के लिए तैयार खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ है। हरियाणा ,पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बासमती और धान की दूसरी अगैती किस्मों को भारी नुकसान पहुंचा है। वहीं बाजरा और सब्जियों की फसलों का भी काफी नुकसान हुआ है। किसान संगठनों ने किसानों को हुए इस आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा मुआवजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि बेहतर आय की उम्मीद में बासमती जैसी महंगई फसलों का नुकसासन होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि जिस तरह सरकार सैटेलाइट से हासिल सूचना के आधार पर पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाती है क्या अब उस तकनीक का इस्तेमाल किसानों को हुए नुकसान के आकलन के लिए नहीं किया जा सकता है। जितना जल्दी हो सकता है सरकार को किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने का फैसला करना चाहिए। रूरल वॉयस के साथ बात करते हुए देश के कई किसान संगठनों के पदाधिकारियों और नुकसान उठाने वाले प्रभावित राज्यों के किसानों ने यह मांग की है।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने रूरल वॉयस के साथ एक बातचीत में कहा कि है कि देश में कई राज्यों में सूखा तो कई राज्यों में अधिक बारिश के कारण नुकसान हुआ है। सरकार को दोनों स्थिति में जहां नुकसान हुआ है उन राज्यों का सर्वे करा कर किसानों के नुकसान की भरपाई तुरंत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल सुखे के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश ,बिहार और झारखंड में किसान को धान सहित कई फसलों की बुवाई नही कर पाए। वहीं बारिश की कमी के चलते फसलें सूख गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। वही दूसरी तरफ महाराष्ट्र में अधिक बारिश के कारण सोयाबीन सहित कई फसलें बरबाद हुई है। पंजाब में कम पानी के कपास की खेती का काफी नुकसान हुआ जिससे कि किसानों आर्थिक नुकसान काफी हुआ है।
युद्ववीर सिंह ने कहा कि सूखे के बाद बची हुई फसलें कटाई के लिए तैयार थी तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब में भारी बारिश के कारण किसानों की फसल धान और बाजरा और सब्जी फसलें खेतों में बरबाद हो गई हैं। इसलिए सरकार को जल्दी जल्दी सर्वे कराकर किसानों के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए ।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने रूरल वॉयस के साथ बातचीत में कहा कि इस साल किसानों को एक तरफ कम पानी और सूखे के काऱण फसल उगाने में सिंचाई और दवाओं पर धान और गन्ना किसानों को ज्यादा लागत खर्च करनी पड़ी है। जिसके कारण पहले ही उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई है। अब इस अचानक भारी बारिश के कारण पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों की धान बाजरा और गन्ना की फसल बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियां हर साल किसान की फसल का बीमा करती हैं। सरकार के पास सर्वे का सारा सिस्टम उपलब्ध है। सरकार किसानों को फसल बीमा का पूरा भूगतान करे क्योंकि किसान पूरी फसल का बीमा कराता है। लेकिन सरकार हमेशा इसमें कोताही करती है। बीमा के नाम पर खानापूर्ति करती है। उन्होंने कहा की सरकार को चाहिए किसान की इस परेशानी में उनके कर्जे माफ करे जिससे कि किसानों कुछ राहत मिल सके।.
भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के पदाधिकारी और उत्तर प्रदेश गन्ना प्रकोष्ठ के प्रमुख कर्मबीर सिंह ने रूरल वॉयस से कहा कि इस साल किसानों को सूखे के कारण पहले ही नुकसान हो रहा था। अब अचानक आई बारिश के कारण धान , सब्जी की फसलें और गन्ने का भारी नुकसान हुआ है जिससे कि किसानों की माली हालत काफी खराब हो गई है। वहीं दूसरी तरफ गौवंश में लंपी रोग से किसान काफी परेशान है। लेकिन सरकार की तरफ से अभी किसानों को कोई सहायता नही प्रदान की गई है। उन्होंने मांग की कि सैटेलाइट के जरिये जिस तरह सरकार पराली जलाने का पता लगाकर किसानों पर जुर्माना लगाती है उसी तरह सैटेलाइट के जरिये सर्वे कराकर सूखा और बारिश से हुए नुकसान का आकलन कर जल्द से जल्द किसानों को मुआवजा दे ।
प्रभावित किसानों ने भी सरकार से मुआवाजा की मांग की है। ग्राम सतवरा जिला बुलन्दशहर के किसान नेत्रपाल शर्मा ने रूरल वॉयस को बताया किअच्छे लाभ के लिए 15 एकड़ में बासमती धान की खेती की थी जिसमें कम अवधि वाली पूसा बासमती 1692, 1509 और पूसा बासमती 1121 की फसल है। हमारे गांव के अधिकतर किसान बासमती धान की खेती कर रहे हैं क्योंकि इस साल किसानों को आशा थी कि इस साल बासमती धान 3600 रूपये कुंतल के हिसाब से बिकेगी। हमारे यहां एक एकड़ में लगभग 18 क्विंटल से लेकर 22 क्विटंल तक बासमती की पैदावार मिल जाती है। समान्य धान की तुलना में बेहतर मूल्य मिल जाता है। नेत्रपाल ने कहा किअभी आई तेज बारिश के कारण लगभग 15 से 20 फीसदी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि जो अगेती फसलें कट गई थीं वह खेतों में पड़ी रह गई और बासमती धान की फसल के दाने काले पड़ने लगे हैं। जिसके चलते किसानों को कम दाम मिलेगा। सबसे अधिक बोई जाने वाली बासमती धान की फसल 1121 खेत में गिर गई जिसमें लगभग 30 से 40 फीसदी का नुकसान हुआ है जबकि पूसा बासमती 1692 ,1509 की बौनी किस्में कम गिरी हैं। जिन किसानों की फसल कट गई थी और खेतों में पड़ी थी उनका नुकसान ज्यादा हुआ है। उन्होंने बताया कि हमारी फसल अभी कटी नही लेकिन तब भी लगभग 15 से 20 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।
रूरल वॉयस से ग्राम नेक पुर जिला बुलंदशहर के किसानों ने बताया कि उनके गांव में लगभग 450 एकड़ में बासमती धान की खेती की गई थी इस बारिश के काऱण 50 फीसदी का नुकसान हो गया है। इस गांव प्रीतम सिंह ने दो एकड़ में, तेजबीर सिंह ने दो एकड़ में और सतवीर सिंह ने पांच एकड़ में बासमती धान की खेती थी जो कट कर खेतों में रखी गई थी। बारिश का में पानी भरने के कारण चावल का दाना काला पड़ने का डर है और अधिक नमी के काऱण चावल में ज्यादा टूटन और कलर बदलने के कारण अब जहां समान्य स्थिति के मुकाबले आधा दाम ही मिलेगा। इन किसानों का कहना है कि पहले कम बारिश के चलते धान की अधिक सिंचाई करनी पड़ी जिससे धान की फसल की लागत खर्च बढ़ गई । इस तरह हम लोगों को दोहरा नुकसान हुआ है।
रूरल वॉयस से हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव खुरमपुर के किसान सोनू कुमार ने बताया कि उन्होंने इस साल 12 एकड़ में बासमती धान की फसल लगा रखी थी। हमारी फसल पूरी पक कर तैयार थी लेकिन अचानक आई बारिश के कारण अभी हमारे गांव समेत सात- आठ गांवों में यमुना का पानी बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात बन गये हैं। हमारी फसलें डूब गई है, खेतों से पानी अगर एक दो दिन में नही निकला तो धान की पूरी फसल खराब हो जाएगी और पानी अगर एक दो दिन में निकल भी जाएगा तो कम से कम 50 फीसदी का नुकसान होगा। क्योंकि अधिक पानी के कारण फसल अभी कट नहीं पाएगी और फसल जमीन पर गिर जाएगी जिससे धान के दाने झड़ जाएंगे और गिरने से दाने खराब हो जाएंगे। सोनू कुमार ने बताया कि इस बारिश ने हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दिय़ा है। उन्होने कहा कि हमने तो फसल बीमा भी कराया है लेकिन बीमा कंपनी ने अभी तक इसका सर्वे भी नहीं किया है।
रूरल वॉय़स से सोनीपत जिले के जौनपुर गांव के किसान राकेश कुमार ने बताया कि,उन्होंने बासमती धान की 1509 किस्म की धान लगाई है । लेकिन इस बारिश के काऱण यमुना का पानी का स्तर बढ़ने से फसल खराब होने का डर है। उन्होंने बताया कि मैने एक एकड़ में फूल गोभी की फसल अभी जल्द ही लगाई थी। और एक एकड़ में लौकी की फसल थी लेकिन इस भारी बारिश के काऱण उनकी दोनो फसल बरबाद हो गई हैं।
वहीं पंजाब में संगरूर जिले के बीमबर गांव के किसान गुरबख्श सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि हमारे एरिया में धान की फसल पक कर तैयार थी हम फसल काटने का इंतजाम कर रहे थे । लेकिन इस बारिश के कारण अब कटाई लेट हो गई और दाने खेत में गिरेंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ बहुत किसानों की धान की फसल कट कर मंडियों में बिकने के लिए ढेर के रूप में पड़ी थी लेकिन बारिश के कारण धान भीग गई इससे किसानों का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पंजाब में भटिंडा मे जहां कि कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है, बरसात के कारण कपास खराब हो गई जिससे किसानों को कम दाम मिलेंगे। वहीं जालंधर और होशियारपुर के किसानो ने अगेती आलू की फसल लगा रखी थी लेकिन खेतों में पानी भरने से आलू का बीज सड़ गया है इससे किसानों का बहुत नुकसान हुआ है।