पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हो रही बारिश से केवल खरीफ फसलों का नहीं, बल्कि रबी की अगेती सरसों की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि इस बारिश ने इस साल का वर्तमान और भविष्य दोनों खराब कर दिया है। इन राज्यों के किसानों का कहना है कि इस बारिश से खरीफ की फसल धान, बाजरा, तिल, मूंग बर्बाद हो गई है। सितम्बर के अंतिम सप्ताह और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में किसानों ने बेहतर लाभ के लिए सरसों की बुवाई की गई थी। लेकिन अक्टूबर में हुई भारी बारिश से खेत में हुए जलभराव के काऱण फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
पिछले साल (2021-22) के रबी सीजन में सरसों की खेती का क्षेत्रफल बढ़कर 91.44 लाख हेक्टेयर हो गया था और लगभग 110 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था। 2020 -21 में केवल 73.12 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती हुई थी। पिछले साल सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक कीमतों पर बिकी थी। देश के कई बाजारों में सरसों का भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल से भी ज्यादा हो गया था। रूरल वॉयस ने प्रभावित किसानों से बातचीत कर उनसे बारिश के चलते हुए नुकसान के बारे में जानकारी हासिल की।
पिछले साल मिले लाभ को देखते हुए इस बार भी किसानों ने सरसों की समय से बुवाई के लिए कमर कसी थी। इसके लिए खेत तैयार कर लिए थे और कुछ किसानों ने सरसों की बुवाई कर भी ली थी। लेकिन अक्टूबर में आई बारिश के कारण बुवाई में देरी होगी। इससे यह संशय बना है कि उत्पादन कम ना हो। उत्तर प्रदेश में आगरा, मथुरा, फर्रूखाबाद, राजस्थान में भरतपुर, पाली, अलवर, कोटा, जयपुर और मध्य प्रदेश में बुदेलखंड रीजन, ग्वालियर, मुरैना दतिया सहित कई जिलों मे सरसों की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। इस एरिया के किसानों से रूरल वॉयस ने बाऱिश के प्रभाव पर चर्चा की।
गांव सल बाजना, जिला मथुरा के बच्चू सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने 14 एकड़ में सरसों की बुवाई की थी। लेकिन अचानक हुई बारिश के कारण खेतों में पानी भऱ गया, जिससे फसल पूरी तरह खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि बुवाई में प्रति एकड़ 12 से 13 हजार रुपये का खर्च आया था। इस तरह हमारा लाखों का नुकसान हो गया है। बच्चू सिंह ने बताया कि उनके गांव में किसानों ने लगभग 100 एकड़ में सरसों की फसल लगाई थी। सबकी फसल इस बारिश से खत्म हो गई।
बच्चू सिंह ने बताया कि, उन्होंने पांच एकड़ में बासमती धान की फसल लगाई थी। भारी बारिश के वजह से फसल खेतों मे गिर गई। फसल सड़ न जाए इसलिए इंजन पंप से खेतों से पानी निकलवा रहे हैं।
झिझौटा बुजुर्ग जिला फर्रूखाबाद के किसान रामबहादुर सिंह ने रूरल वॉयस के बताया कि बाजरा और उड़द मूंग की कटाई के बाद उन्होंने सरसों की फसल 15 एकड़ में लगाई थी, लेकिन इस बारिश के काऱण वह पूरी फसल चौपट हो गई। उन्होंने बताया कि बाजरा काट कर खेतों में रखे थे। लेकिन खेतों में पानी लगने के काऱण फसल खराब हो गई। अब दोबारा सरसों के लिए खेत तैयार करने पड़ेंगे जिस पर खर्च करना पड़ेगा।
जिला भरतपुर नबदई राजस्थान के किसान कप्तान सिंह ने बताया कि उन्होंने बाजरे की कटाई करने के बाद पांच एकड़ में अक्टूबर के पहले सप्ताह में सरसों की बुवाई करने की योजना बनाई थी, लेकिन बारिश की सूचना के कारण उन्होंने बुवाई नहीं की। खेतों में ज्यादा नमी के कारण सरसों की बुवाई में दो सप्ताह की देरी होगी। अब फिर से खेत तैयार करना पड़ेगा।
गांव बसई जोगिया जिला अलवर राजस्थान के किसान भंवरलाल ने रूरल वॉयस को बताया कि मौसम विभाग के अलर्ट के कारण 10 एकड़ में सरसों के बुवाई की योजना टाल दी थी। अब खेतों ज्यादा नमी के कारण 10 से 15 दिनों की देरी से ही बुवाई होगी। उन्होंने बताया कि उनके एरिया में जिन किसानों ने चिकनी मिट्टी वाले खेतों में सरसों बोई थी वह फसल खराब हो गई और रेतीली भूमि वाली फसल अब ठीक है।
गांव खेवड़ा जिला अलवर राजस्थान के किसान श्रीराम सिंह ने रूरल वॉयस के साथ बातचीत में बताया कि पिछले साल सरसों के अच्छे दाम मिलने के वजह से इस साल उन्होंने आठ एकड़ में सरसों की फसल दो सप्ताह पहले लगाई थी। लेकिन बारिश के कारण पानी खेतों में भर गया। जमीन ने जल्द ही पानी सोख लिया जिसके कारण फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
मध्य प्रदेश के दतिया जिले के कामत गांव के किसान शैलेंद्र सिंह डांगी ने पांच एकड़ में सरसों की खेती की है। उन्होंने पिछले साल सरसों की उपज 7000 -8000 रुपये प्रति क्विंटल में बेची थी। इसलिए इस साल सरसों की खेती के लिए खेत तैयार कर लिए थे, लेकिन बारिश के कारण अब खेतों मे पानी भर गया है जिसके काऱण अब 15 दिन की देरी हो सकती है। इससे उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्व विद्यालय मेरठ के एग्रोनामी के एसोसियट प्रोफेसर डॉ के जी यादव ने रूरल वॉयस के साथ एक बातचीत में कहा कि सरसों की बुवाई के लिए सितम्बर के अंतिम सप्ताह से 15 अक्टूबर सबसे बेहतर समय होता है। लेकिन सरसों बेल्ट में बारिश से लगभग 10 से 15 दिनों की देरी होने से उपज पर प्रभाव पड़ सकता है। देर से बुवाई के बाद 15 दिसम्बर के बाद सरसों में फूल आते हैं, उस समय ओला और शीत लहर के कारण सरसों में बीमारियों प्रकोप बढ़ जाता है। अगर किसान 15 अक्टूबर के पहले सरसों की बुवाई करता है तो इन बामारियों से बच जाता है। इसलिए अब किसानों को सरसों की वरुणा, नरेन्द्र राई 8501, पूसा बोल्ड और आरएच 749 जैसी प्रजातियों की बोनी करनी चाहिए।
दतिया कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख और सरसों फसल के विशेषज्ञ डॉ. आरकेएस तोमर ने रूरल वॉयस को बताया कि किसान अगर देरी से सरसों की बुवाई करते हैं तो उसके काऱण माहूं का अटैक हो सकता है। देरी से बुवाई करने से कीट और तापमान के कारण सरसों की उपज में अधिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि किसानों को एक कंपनी के बीजों को ही नहीं बोना चाहिए बल्कि अलग -अलग कंपनियों के बीजो को बोना चाहिए और कम अवधि वाली सरसों की वैज्ञानिक तरीके से बुवाई करनी चाहिए।