केंद्र सरकार के साथ तीन कृषि बिलों पर होने वाली बातचीत के दो दिन पहले किसान संगठनों ने अपने रुख को सख्त करने के संकेत दिये हैं। शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ "किसान गणतंत्र परेड" करेंगे। किसान नेताओं ने साफ किया है कि यह परेड गणतंत्र दिवस की आधिकारिक परेड की समाप्ति के बाद होगी। पंजाब से किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। हालांकि इसके पहले शुक्रवार को किसान संगठनों ने इसी तरह का विरोध कार्यक्रम घोषित किया था। किसान संगठनों का यह कदम 4 जनवरी को होने वाली बातचीत के पहले आने का मतलब है कि वह सरकार पर दबाव कायम रखना चाहते हैं। असल में 30 दिसंबर को हुई बातचीत में प्रस्तावित बिजली बिल और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कमीशन बनाने के लिए लाये गये अध्यादेश पराली और दूसरे फसल अवशेष जलाने पर किसानों पर जुर्माने और सजा जैसे सख्त प्रावधानों में बदलाव पर सहमति बनी थी। इसके चलते आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच बातचीत का बेहतर माहौल बनने की उम्मीद बन गई थी। लेकिन किसानों का ताजा रुख इस बात का संकेत है कि तीन नये कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी बनाकर खरीद की गारंटी के मुद्दे पर पूरी तरह अडिग हैं। किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संवाददाता सम्मेलन में अभी से 26 जनवरी के बीच अनेक स्थानीय और राष्ट्रीय कार्यक्रमों की घोषणा भी की है।
इस मौके पर किसान प्रतिनिधियों ने कहा "हमने सरकार को पहले दिन ही बता दिया था कि हम इन तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराए बिना यहां से हटने वाले नहीं है। सरकार के पास दो ही रास्ते हैं: या तो वह जल्द से जल्द इस बिन मांगी सौगात को वापस ले और किसानों को एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी दे, नहीं तो इन मांगों के माने जाने तक हम आंदोलन को जारी रखेंगे।
एक और किसान ने की आत्महत्या
वहीं शनिवार को ही गाजीपुर बॉर्डर चल रहे किसानों के धरना स्थल पर 75 साल के किसान कश्मीर सिंह ने टॉयलेट में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। कश्मीर सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा, ‘सरकार फेल हो गई है। आखिर हम यहां कब तक बैठे रहेंगे। सरकार सुन नहीं रही है। इसलिए मैं जान देकर जा रहा हूं। अंतिम संस्कार मेरे बच्चों के हाथों दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर होना चाहिए। मेरा परिवार, बेटा-पोता यहीं आंदोलन में निरंतर सेवा कर रहे हैं।’ अब तक विभिन्न कारणों से धरने-प्रदर्शन के दौरान 50 किसानों की मौत हो चुकी है। इसके एक दिन पहले शुक्रवार को यहां बागपत के एक किसान की मौत हो गई थी
4 जनवरी को अगली बैठक
सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और टीकरी बार्डर के अलावा पलवल में और हरियाणा- राजस्थान बार्डर पर शाहजहांपुर में किसानों का धरना- प्रदर्शन जारी है। इससे पहले किसान और सरकार के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है। छठे दौर की बातचीत में पूरा समाधान तो नहीं निकला लेकिन विवाद के दो मुद्दों पर सहमति बन गई। किसानों और सरकार के बीच अब 4 जनवरी को अगली बैठक है। उम्मीद की जा रही है कि इस दिन गतिरोध खत्म हो सकता है. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि उन्हें भरोसा है कि 4 जनवरी को सकारात्मक नतीजे आएंगे।