किसान संगठनों ने ठुकराया सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से मीटिंग का न्यौता

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने एक पत्र लिखकर कमेटी से मीटिंग के न्यौते को ठुकरा दिया है। साथ ही कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े कर दिये।

हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पिछले आठ महीनों से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी से मिलने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। कमेटी ने दोनों फोरम को मीटिंग के लिए न्यौता भेजा था। लेकिन किसान नेताओं ने यह कहते हुए कमेटी के साथ बात करने से इंकार कर दिया है कि उन्होंने कभी कोई कमेटी गठित करने की मांग नहीं की थी। ना ही वह कोर्ट में चल रहे केस में पार्टी हैं। रास्ता तो गैर-कानूनी रूप से हरियाणा सरकार ने बंद किया हुआ है। 

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने एक पत्र लिखकर कमेटी से मीटिंग के न्यौते को ठुकरा दिया। साथ ही कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े किये। किसान संगठनों ने सात बिंदुओं में अपना पक्ष रखा है जिसमें विस्तार से बताया कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से क्यों बात नहीं करना चाहते हैं। किसान संगठनों ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश किसानों पर सरकारी आरोपों की चर्चा करता है लेकिन किसानों पर हुए सरकारी अत्याचारों की कोई चर्चा नहीं की। 

एमएसपी गारंटी कानून के मुद्दे पर किसान संगठनों का कहना है कि 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने एमएसपी गारंटी कानून का सुझाव द‍िया था। केंद्र सरकार ने 2004 में डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन क‍िया था, जिसने किसानों को C2+50% फॉर्मूले के अनुसार फसलों का एमएसपी देने की सिफारिश की थी। यह सब साब‍ित करता है क‍ि किसानों की मांगें न्यायपूर्ण, व्यवहारिक और सब के हित में हैं। 

किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी के कार्यक्षेत्र और सिफारिशों को लागू कराने के अधिकारों को लेकर स्पष्टता की कमी का मुद्दा भी उठाया। पंजाब या हरियाणा सरकार द्वारा चयनित किसी अन्य जगह पर आंदोलन करने को लेकर किसानों का कहना है कि 6 फरवरी को उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर जंतर-मंतर या रामलीला मैदान पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी, जिस पर आज तक कोई जवाब नहीं मिला है। किसान संगठनों ने उनकी मांगों को व्यवाहरिक न मानने और राजनीति से दूरी बनाने की हिदायत को लेकर असहमति व्यक्त की है। 

आंदोलनकारी किसानों के साथ विवाद के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति में नवाब सिंह, देवेंद्र शर्मा, रंजीत घुम्मन, डॉ. सुखपाल, बीएस संधू और बीआर कंबोज शाम‍िल हैं। कमेटी के पत्र के जबाव में किसान संगठन की ओर से भेजे गये पत्र पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, स्वर्ण सिंह पंधेर, सुखजीत सिंह हरदोझंडे, जसविंद्र सिंह लोंगोवाल, इंद्रजीत सिंह कोटबुढा, अमरजीत सिंह मोहड़ी, लखविंद्र सिंह औलख, मंजीत सिंह राय और अभिमन्यु कोहाड़ के हस्ताक्षर हैं।